
मध्यप्रदेश के रतलाम जिले के आम्बा गांव में पिछले दिनों 18 मुसलमानों ने एक साथ हिंदू धर्म अपना लिया। इस खबर के कारण यह गांव देशभर में सुर्खियों में रहा। गोबर, गोमूत्र से स्नान और मुंडन के बाद ये लोग सनातनी हो गए। अब पता चला है कि इन लोगों के धर्मांतरण के पीछे की असल वजह गरीबी और भूख है।
खास बात यह है कि भले ही धर्मांतरण करने वाले ये लोग मुसलमान थे, लेकिन इनमें से ज्यादातर को तो मुस्लिम धर्म के त्योहार भी नहीं पता। इन्होंने न कभी नमाज पढ़ी और न ही कुरान। ये कभी मस्जिद भी नहीं गए। अब हालात समझकर ये फैसला जरूर कर लिया कि सनातनी हो जाएंगे, तो कुछ पक्का इंतजाम हो जाएगा। इनमें से एक महिला ने कबूल किया कि हमें बोला गया कि हिन्दू धर्म में आ गए, तो घर, मकान सब मिलेगा।
रतलाम हाईवे से 30 किलोमीटर भीतर आम्बा गांव के एक छोर पर कुछ कच्चे-पक्के मकानों के बीच इन फकीरों का डेरा है। कुछ के पास वोटर आईडी भी हैं। ज्यादातर लोग गांव-गांव भीख मांगकर परिवार के खाने-पीने का इंतजाम करते हैं। सालों से ये लोग इसी गांव में डेरा डाले हैं।
दुनियादारी को समझने वाले रामसिंह इन लोगों की नुमाइंदगी करते हैं। पहले उनका नाम मोहम्मद था। वे कहते हैं कि वह पहले मुसलमान थे। फकीरी करते थे। कुछ दिन पहले गांव के पास शिव पुराण की कथा सुनने गए थे। बस फिर मन हुआ कि अब सनातनी हो जाना ही ठीक होगा। हमने स्वामी जी को मंशा बताई और सनातनी हो गए। तीन पीढ़ी पहले हम हिन्दू ही थे। फिर मुसलमान बन गए थे। अब हम फिर वापस आ गए। हमारे कई साथी और सनातन धर्म में शामिल होंगे।
इस मामले में शिव पुराण कथा के आयोजक नरेंद्र राठौर कहते हैं कि यहां आनंदगिरी महाराज कथा कर रहे थे। कुछ मुसलमान लोग यहां कथा सुनने आए थे। उसी दौरान इन्होंने धर्मांतरण की इच्छा जाहिर की। आश्रम के सुरेश चंद्र शर्मा कहते हैं कि इन्हें न तो मुसलमान अपना मानते थे न हिन्दू। शिवपुराण की कथा के दौरान इन्हें लगा कि यदि सनातनी हो जाएंगे, तो एक जाति मिल जाएगी। इन्हें बादिया जाति में शामिल किया गया है। (साभारः भास्कर)