जहां गुजरात में पूर्व विधायक और सांसदों को पेंशन के नाम पर ढेला भी नहीं दिया जाता औऱ पंजाब की आप सरकार ने पूर्व माननीयों की पेशन को केवल एक टर्म तक के लिए सीमित कर दिया गया, वहीं, राजस्थान इन्हें दिल खोलकर पैसे बांट रहा है। यहां भरपूर पेंशन पाकर विधायक व सांसद करोड़पति बनते जा रहे हैं।
राजस्थान में एक विधायक या सांसद 1 दिन के लिए भी कुर्सी पर रहे, तो उसे जिंदगीभर पेंशन मिलती है। जितनी बार वह विधायक या सांसद बनता है, उतनी ही बार की पेंशन जुड़ जाती है। इसके चलते करोड़पति विधायकों की संख्या हर बार बढ़ रही है। विधायक-मंत्री रहते हुए लाखों रुपए की सैलरी और भत्ते लेने वाले करोड़पति-अरबपति पूर्व विधायक आज भी लाखों रुपए की पेंशन उठा रहे हैं। सुमित्रा सिंह, सुंदरलाल काका और कमला बेनीवाल जैसे विधायकों को 1 लाख रुपए से ज्यादा पेंशन मिल रही है। मौजूदा समय राजस्थान में 200 में से 158 विधायक करोड़पति हैं। जब ये रिटायर होंगे, तो इन्हें जिंदगीभर पेंशन मिलती रहेगी।
इस संबंध में वित्त विभाग औऱ विधानसभा के रिकॉर्ड चौंकाने वाले हैं। प्रदेश में वर्तमान में 483 पूर्व विधायकों को पेंशन मिल रही है। राजस्थान सरकार हर साल 37 करोड़ रुपए इनकी पेंशन पर खर्च कर रही है। यदि राज्य सरकार पड़ोसी प्रदेशों से सबक ले तो उसके 17 से 37 करोड़ रुपए बच सकते हैं।
पंजाब सरकार ने हाल ही में वन एमएलए, वन पेंशन की घोषणा की है। मतलब, चाहे कोई नेता 10 बार विधायक बन जाए, लेकिन उसे पेंशन एक टर्म जितनी ही मिलेगा। पंजाब फार्मूला अपनाने से राजस्थान के 483 विधायकों की पेंशन पर 35 हजार रुपए महीने के हिसाब से एक साल के 20 करोड़ रुपए ही खर्च होंगे। इस फॉर्मूले से राजस्थान सरकार को हर साल 17 करोड़ रुपए की बचत हो सकती है। उधर, गुजरात में पूर्व विधायकों को किसी तरह की पेंशन देने का प्रावधान ही नहीं है। विधायक का कार्यकाल खत्म होने के बाद सरकारी खजाने से उनकी पेंशन पर कोई खर्च नहीं किया जाता है। गुजरात फॉर्मूला लागू करने पर राजस्थान सरकार 37 करोड़ रुपए हर साल बचा सकती हैं।
