
आमतौर पर बुखार के इलाज में इस्तेमाल होने वाली डोलो-650 दवा की दवा निर्माता कंपनी माइक्रो लैब्स को लेकर पर नए-नए खुलासे हो रहे हैं। कंपनी द्वारा इस दवा को बढ़ावा देने के बदले डॉक्टरों को 1000 करोड़ रुपये के उपहार मुफ्त में देने का अब खुलासा हुआ है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बीते छह जुलाई को आयकर विभाग की टीम ने माइक्रो लैब्स लिमिटेड के नौ राज्यों में मौजूद 36 ठिकानों पर छापा मारा। सीबीडीटी ने बताया कि कंपनी के खिलाफ कार्रवाई के बाद विभाग ने 1.20 करोड़ रुपये की अघोषित नकदी और 1.40 करोड़ रुपये की ज्वेलरी जब्त की थी।
कंपनी से ई-मेल के जरिए जब इस संबंध में पूछा गया, तो इसका कोई जवाब नहीं मिला। सीबीडीटी के अनुसार 1,000 करोड़ रुपये के उपहार बांटने का खुलासा उन दस्तावेजों और डिजिटल डेटा की जांच में हुआ है. जो आईटी के छापे के दौरान जब्त किए गए थे। बयान में कहा गया कि इन दस्तावेजों से साफ तौर पर पता चलता है कि कंपनी ने अपने उत्पाद को बढ़ावा देने के लिए गलत हथकंडों को अपनाया था।
इस दवा की कीमत भले ही कम हो, लेकिन इसे बनाने वाली कंपनी ने इससे जो कमाई का जो खेल खेला वो चर्चा का विषय बन गया है। कोरोना महामारी के दौरान इस दवा की बिक्री में इस कदर उछाल आया था कि यह बाजार से गायब हो गई थी। 2020 में कोविड-19 के मामले सामने आने के बाद 350 करोड़ टैबलेट बेची गई थीं और एक साल में ही कंपनी ने करीब 400 करोड़ रुपये की कमाई की थी।
हालांकि, सीबीडीटी के बयान में समूह की पहचान उजागर नहीं की गई, लेकिन रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से पुष्टि की गई है कि यह माइक्रो लैब्स लिमिटेड ही है। सीबीडीटी के अनुसार जांच के दौरान और भी कई वित्तीय अनियमितताओं का पता चला है। कोरोना काल में इस एनाल्जेसिक (दर्द निवारक) और एंटीपीयरेटिक (बुखार कम करने वाली) दवा डोलो-650 को डॉक्टरों की ओर से इलाज में सबसे ज्यादा प्रभावी बताकर इस्तेमाल में लाया गया था।