
इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने के बाद इसे सत्यापित करना जरूरी होता है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने आईटीआर वेरिफिकेशन करने के नियमों में बदलाव किया है। पहले आयकरदाता ऑनलाइन आईटीआर दाखिल करने के बाद 120 दिनों तक आईटीआर वेरिफाई कर सकते थे, लेकिन अब इस काम के लिए उन्हें केवल 30 दिन मिलेंगे। मतलब, अब आईटीआर दाखिल करने के एक महीने के भीतर ही उसे सत्यापित करना होगा। नया नियम आज एक अगस्त से लागू हो गया है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस संबंध में सीबीडीटी ने एक अधिसूचना जारी की है। इसमें कहा गया है कि ऑनलाइन आईटीआर भरने के 30 दिन के भीतर फॉर्म आईटीआर-वी दाखिल करना होगा। अगर इस अवधि के बाद आईटीआर-वी दाखिल किया जाता है, तो इसे समझा जाएगा कि जिस रिटर्न के संबंध में यह फॉर्म दाखिल किया गया है, वह कभी भरा नहीं गया और आयकरदाता को दोबारा डेटा भरना (रिटर्न) होगा। फिर इसके 30 दिन की समयावधि में फॉर्म आईटीआर-वी दाखिल करना होगा। सीबीडीटी ने स्पष्ट किया है कि इस अधिसूचना के प्रभावी होने की तारीख से पहले जो रिटर्न दाखिल हुई हैं, ऐसे रिटर्न के संबंध में 120 दिनों की पूर्व की समय सीमा लागू रहेगी।
इनकम टैक्स रिटर्न भरने की प्रक्रिया में आखिरी चरण को वेरिफाई या सत्यापित करना होता है। अगर आप वेरिफाई नहीं किया तो इनकम टैक्स रिफंड नहीं मिलेगा। बिना वेरिफिकेशन के आईटीआर अमान्य माना जाएगा। आईटीआर को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से वेरिफाई किया जा सकता है। इनकम टैक्स पोर्टल पर दी गई जानकारी के अनुसार आईटीआर वेरिफाई करने के 6 तरीके हैं। इनमें से 5 तरीके ऑनलाइन और एक ऑफलाइन है।
इनकम टैक्स रिटर्न भरने की अंतिम तिथि 31 जुलाई बीत चुकी है। अंतिम तिथि तक भी बहुत से आयकरदाताओं ने अपनी आयकर रिटर्न दाखिल नहीं की है। वे अब जुर्माने के साथ आयकर रिटर्न दाखिल कर पाएंगे। अगर करदाता की कर योग्य आय 5 लाख रुपये तक या इससे कम है तो उसे 1,000 रुपये लेट फीस देनी होगी। अगर करयोग्य आय पांच लाख रुपये से ज्यादा है तो 5,000 रुपये लेट फीस के रूप में चुकाने होंगे।