
भारत के 25 विलफुल डिफॉल्टरों पर ही 31 मार्च 2022 तक बैकों के 58,958 करोड़ रुपये बकाया थे। ये ऐसे व्यक्ति या कंपनियां हैं, जिनके पास बैंकों से लिए कर्ज चुकाने की क्षमता तो है, लेकिन इन्होंने जान-बूझकर कर्ज चुकाने से बचने के लिए खुद को दिवालिया घोषित कर रखा है। वित्ते राज्यतमंत्री भागवत कराड ने संसद में यह जानकारी देते हुए बताया कि वित्त वर्ष 2022 के अंत में विलफुल डिफॉल्टरों की संख्या 2,790 थी, जो वित्त वर्ष 2021 के 2,840 के मुकाबले कम है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार वित्ति राज्य मंत्री ने बताया कि देश की सबसे बड़ी विलफुल डिफॉल्टर कंपनी भगोड़े कारोबारी मेहुल चोकसी की गीतांजलि जेम्स लिमिटेड है। गीतांजलि जेम्स लिमिटेड पर बैंकों का करीब 7,110 करोड़ रुपये रुपये का कर्ज बकाया है। दूसरी बड़ी विलफुल डिफॉल्टर कंपनी इरा इन्फ्रा इंजीनियरिंग लिमिटेड है। कंपनी विभिन्न वित्तीय संस्थानों के करीब 5,879 करोड़ रुपये दबाए बैठी है। कॉनकास्ट स्टील एंड पावर लिमिटेड भी कुल 4,107 करोड़ रुपये के बकाया के साथ विलफुल डिफॉल्टहरों की लिस्टल में तीसरे स्थाुन पर है। इस सूची में चौथा स्थान आरईआई एग्रो लिमिटेड का है, जिस पर बैंकों की 3,984 करोड़ रुपये की देनदारी है। एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड पर बैंकों का 3,708 करोड़ रुपये बकाया है। यह देश की पांचवीं सबसे बड़ी विलफुल डिफॉल्टिर है। वित्त राज्यमंत्री ने बताया कि बैंकों ने पिछले 5 वित्त वर्ष में 9.91 लाख करोड़ का लोन बट्टे खाते में डाला है। वहीं, वित्त वर्ष 2022 के दौरान कुल 1.57 लाख करोड़ रुपये के कर्ज को बट्टे खाते में डाला, जो पांच वित्त वर्षों में सबसे कम है। सबसे अधिक लोन भारतीय स्टेट बैंक ने बट्टे खाते में डाला है। स्टेट बैंक ने वित्त वर्ष 2022 के दौरान 19,666 करोड़ रुपये का लोन बट्टे खाते में डाला, जो वित्त वर्ष 2021 के 34,402 करोड़ रुपये के मुकाबले कम है। इसी प्रकार यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने वित्त वर्ष 2022 में 19,484 करोड़ रुपये का कर्ज बट्टे खाते में डाला। पिछले साल बैंक ने 16,983 करोड़ रुपये का लोन बट्टे खाते डाला था। पंजाब नेशनल बैंक ने वित्त वर्ष 2022 में 18,312 करोड़ रुपये का लोन बट्टे खाते में डाला, जो वित्त वर्ष 2021 के 15,877 करोड़ रुपये के मुकाबले ज्या दा है।