
केन्द्र सरकार ने एकबार फिर रसोई गैस सिलेंडरों की संख्या तय की है। नए नियमों के तहत ग्राहक अब एक साल में सिर्फ 15 सिलेंडर ही खरीद सकेंगे। इससे ज्यादा सिलेंडर नहीं दिए जाएंगे। इसके अलावा एक महीने में सिर्फ दो सिलेंडर मिलेंगे। ग्राहक इससे ज्यादा सिलेंडर नहीं ले सकेंगे।
कुछ साल पहले भी सरकार ने सिलेंडरों का कोटा तय किया था, लेकिन भारी विरोध के चलते इसपर क्रियान्विती रोक दी गई। उसके बाद सिलेंडर पाने के लिए महीने या साल की सीमा हटा ली गई थी।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार नए नियम के हिसाब से अब साल में सब्सिडी वाले सिलेंडरों की संख्या 12 होगी। इसके ज्यादा अगर आप सिलेंडर खरीदते हैं, तो उस पर सब्सिडी नहीं मिलेगी। बाकी के सिलेंडर ग्राहकों को बिना सब्सिडी के ही खरीदने होंगे। रिपोर्ट के अनुसार राशनिंग के लिए सॉफ्टवेयर में बदलाव किया गया है। ये नियम लागू किये जा चुके हैं। नए नियम इसलिए लागू किए गए हैं, क्योंकि काफी समय से शिकायत मिल रही थी कि घरेलू गैर सब्सिडी की रीफिलिंग कॉमर्शियल से सस्ती होने की वजह से वहां इसका इस्तेमाल ज्यादा होने लगा था। जिसके कारण सिलेंडर पर राशनिंग की गई है।
पता चला है कि एक अक्टूबर से एलपीजी की कीमत भी बढ़ सकती है। दो दिन पूर्व ही चर्चा थी कि काफी समय बाद इसबार घरेलू गैस सस्ती हो सकती है। मगर अब बताया जा रहा है की 1 अक्टूबर को कीमतों की समीक्षा में नेचुरल गैस के दाम बढ़ाए जा सकते हैं। गैस की कीमत हर 6 महीने में एक बार सरकार तय करती है। यह हर साल 1 अप्रैल और 1 अक्टूबर को किया जाता है। गैस की कीमत इसकी अधिकता वाले देश में चल रही कीमतों पर आधारित होती है। सीएनजी की कीमत भी बढ़ाई जा सकती हैं। नेचुरल गैस से ही एलपीजी और सीएनजी बनाई जाती है।
पिछले महीने 19 किलोग्राम के कमर्शियल एलपीजी सिलेंडर की कीमत 36 रुपये घटाकर 1,976.50 रुपये कर दी गई थी। कमर्शियल एलपीजी सिलेंडर का इस्तेमाल होटल, रेस्टोरेंट और अन्य कमर्शियल काम के लिए किया जाता है। मई के बाद से कमर्शियल एलपीजी कीमत में यह चौथी बार कटौती की गई थी। कुल मिलाकर कीमतों में प्रति सिलेंडर 377.50 रुपये की कमी हुई है। वहीं, घरेलू रसोई में इस्तेमाल होने वाली एलपीजी गैस की कीमत में कोई बदलाव नहीं हुआ है।