नागपुर में बुधवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने विजयादशमी मनाई। शस्त्र पूजा के दौरान पहली बार महिला मुख्य अतिथि संतोष यादव मौजूद थीं। संतोष दो बार माउंट एवरेस्ट फतेह करने वाली दुनिया की एकमात्र महिला हैं।
साल 1925 के बाद से आरएसएस के दशहरा उत्सव में पुरुष ही मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत करते रहे है, लेकिन इस साल पहली बार इस कार्यक्रम में संघ ने किसी महिला को मुख्य अतिथि के तौर पर मंच पर बिठाया। साल 1925 में दशहरे के दिन ही नागपुर में आरएसएस की स्थापना हुई थी। इस वजह से संघ के लिए दशहरे का दिन बहुत खास होता है।
इस अवसर पर मुख्य आतिथि संतोष यादव ने कहा, अक्सर मेरे व्यवहार और आचरण से लोग मुझसे पूछते थे कि क्या मैं संघी हूं? तब मैं पूछती की वह क्या होता है? मैं उस वक्त संघ के बारे में नहीं जानती थी। आज वह प्रारब्ध है कि मैं संघ के इस सर्वोच्च मंच पर आप सब से स्नेह पा रही हूं।
संघ के दशहरा समारोह में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस, सरसंघचालक डा. मोहन भागवत मौजूद थे। मोहन भागवत अपने भाषण में मुख्य रूप से महिला सशक्तिकरण पर बोले। हालांकि जनसंख्या नियंत्रण, शिक्षा नीति जैसे मुद्दों का भी जिक्र किया। कहा- जनसंख्या नियंत्रण और धर्म आधारित जनसंख्या असंतुलन ऐसे मुद्दे हैं, जिसे लंबे समय तक नजरंदाज नहीं किया जा सकता।
भागवत एक घंटे बोले। उन्होंने कहा- जो सारे काम पुरुष करते हैं, वह महिलाएं भी कर सकती हैं। लेकिन जो काम महिलाएं कर सकती हैं, वो सभी काम पुरुष नहीं कर सकते। महिलाओं को बराबरी का अधिकार, काम करने की आजादी और फैसलों में भागीदारी देना जरूरी है। भागवत ने 3 महीने पहले कर्नाटक की श्री सत्य साईं यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में कहा था कि जनसंख्या बढ़ाने और खाने का काम तो जानवर भी करते हैं। ये जंगल में सबसे ताकतवर रहने के लिए जरूरी है। ताकतवर ही जिंदा रहेगा, ये जंगल का कानून है। इंसानों में ऐसा नहीं है। इंसानों में जब ताकतवर दूसरे की रक्षा करता है तो ये ही इंसानियत की निशानी है।
