रिजर्व बैंक की लाख कोशिशों के बावजूद खुदरा महंगाई थमने का नाम नहीं ले रही है। सितंबर में खुदरा महंगाई की दर 7.41 फीसदी पहुंच गई, जो पांच महीने में सबसे ज्यादा है। इससे पहले अगस्त में खुदरा महंगाई 7 फीसदी रही थी।
सरकार ने बुधवार को आंकड़े जारी कर बताया कि खाने-पीने की चीजों के दाम बढ़ने से सितंबर में उपभोक्ता मूल्य आधारित महंगाई दर पांच महीने के शीर्ष पर पहुंच गई। यह लगातार नौवां महीना है, जब खुदरा महंगाई की दर रिजर्व बैंक के तय 6 फीसदी के दायरे से बाहर रही। इसमें सबसे बड़ी भूमिका खाद्य उत्पादों की कीमतें बढ़ने की है।
खुदरा महंगाई में लगातार बढ़ोतरी होने का सबसे बड़ा कारण रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से सप्लाई पर असर पड़ना और अनाज, सब्जियों जैसे जरूरी और रोजमर्रा के आइटम्स की कीमतें बढ़ना है। अगस्त में खाद्य महंगाई की दर बढ़ने से महंगाई के सभी सेग्मेंट पर असर पड़ा। हालांकि, सरकार ने घरेलू बाजार में कीमतों को थामने के लिए चावल, गेहूं, आटा सहित तमाम खाद्य उत्पादों के निर्यात पर प्रतिबंध भी लगाया, लेकिन उपभोक्ता मूल्य आधारित सूचकांक में कोई राहत नहीं मिली।
खुदरा महंगाई में 40 फीसदी के साथ सबसे बड़ी हिस्सेदारी निभाने वाले खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर सितंबर में सालाना आधार पर बढ़कर 8.60 फीसदी पहुंच गई, जबकि अगस्त में खाद्य उत्पादों की महंगाई दर 7.62 फीसदी थी। इसके अलावा ईंधन और बिजली की महंगाई दर सितंबर में 11.44 फीसदी पहुंच गई, जो अगस्त में 10.78 फीसदी थी। सीमेंट, कोयला सहित कोर सेक्टर की महंगाई दर भी सितंबर में 6.1 फीसदी पहुंच गई, जो एक महीने पहले तक 5.90 फीसदी थी।
खुदरा महंगाई संकट बढ़ाने के साथ ही देश के औद्योगिक उत्पादन में भी गिरावट देखी जा रही है। अगस्त में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर गिरकर शून्य से 0.80 फीसदी नीचे चली गई, जो जुलाई में 2.4 फीसदी और एक साल पहले अगस्त में 13 फीसदी थी। हालांकि, इस साल मई और जून में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर दहाई अंकों में रही थी, लेकिन उसके बाद से लगातार गिरावट दिख रही है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की ओर से जारी आंकड़ों को देखें तो अगस्त में सबसे ज्यादा गिरावट मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में दिख रही, जहां शून्य से 0.7 फीसदी की वृद्धि दर रही है। इसके अलावा खनन क्षेत्र की उत्पादन दर भी शून्य से 3.9 फीसदी नीचे चली गई, जबकि ऊर्जा क्षेत्र ने 1.4 फीसदी की बढ़त बनाई है। इससे पहले कोरोनाकाल में अप्रैल 2020 में औद्योगिक उत्पादन में 57.3 फीसदी की बड़ी गिरावट दिखी थी।
