वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की हिंदू पक्ष की मांग को जिला अदालत ने पूरी तरह से खारिज कर दिया है। इससे हिंदू पक्ष की उम्मीदों को बड़ा झटका लगा है।
कोर्ट के आदेश के बाद हिंदू पक्ष के एडवोकेट शिवम गौड़ ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कथित शिवलिंग मिलने की जगह को सुरक्षित और संरक्षित किया जाए। इसका हवाला देते हुए जिला कोर्ट ने कार्बन डेटिंग या अन्य वैज्ञानिक पद्धति से जांच की मांग खारिज कर दी है। अब हिंदू पक्ष ने वाराणसी कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही है।
जिला अदालत ने शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की मांग पर फैसले के लिए पहले 12 अक्टूबर का दिन तय किया था, लेकिन वकील के निधन के चलते फैसले को टालना पड़ गया। कोर्ट ने आज शुक्रवार को फैसले की तारीख दी थी।
वजूखाने में मिले शिवलिंग को लेकर विवाद लंबे समय से चल रहा है। एक तरफ मुस्लिम पक्ष इसे फव्वारा बता रहा था, तो दूसरी तरफ हिंदू पक्ष शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कराने की मांग कर रहा था। शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की मांग को लेकर दिल्ली की राखी सिंह और वाराणसी की चार महिलाओं ने कोर्ट में अर्जी लगाई थी। मामले की सुनवाई जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने की। इस मौके पर कोर्ट में 62 लोग मौजूद रहे। दोनों पक्षों के वकीलों ने जज के सामने अपनी-अपनी दलीलें रखीं, जिसे सुनने के बाद अब कोर्ट ने शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कराने की हिंदू पक्ष की मांग को खारिज कर दिया है।
इसी साल मई में ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे कराया गया था, जिस पर हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि मस्जिद के वजूखाने में बीच में एक कथित शिवलिंग मिला है। मुस्लिम पक्ष की तरफ से उसे मात्र फव्वारा बताया गया था। हिंदू पक्ष ने शिवलिंग की जांच के लिए कार्बन डेटिंग कराने के साथ-साथ वैज्ञानिक जांच कराई जाने की मांग की थी, जिससे उसकी उम्र का पता चल सके। साथ ही शिवलिंग को कोई नुकसान भी न हो। किसी वस्तु की उम्र और समय का पता लगाने के लिए कार्बन डेटिंग कराई जाती है। इससे 20 हजार साल पुरानी वस्तुओं की उम्र का पता लगाया जा सकता है।
