राजस्थान में धनतेरस से भैया दूज तक बिजली कटौती नहीं करने के मुख्यमंत्री के सख्त निर्देश के बावजूद इस त्योहारी मौसम में बिजली उत्पादन घटने और बिजलीघरों को चलाने के लिए कोयले की कमी से संकट खड़ा हो गया है। दीपावली से पहले प्रदेश के बिजलीघरों की करीब 3000 मेगावाट क्षमता की 11 यूनिटें ठप हैं। इनमें से 7 यूनिटों को दीपावली के त्यौहार से ठीक पहले 13 अक्टूबर से लेकर 21 अक्टूबर तक बंद की गई। सभी को बंद करने के तकनीकी कारण बताए गए हैं।
दूसरी तरफ बिजली घरों का कोयला स्टॉक घटकर 1 से 6 दिन तक का ही बचा है। तीन बिजलीघरों सूरतगढ़, छबड़ा और छबड़ा सुपर क्रिटिकल पावर प्लांट में सिर्फ आज चलने लायक ही कोयला बाकी है। कोयला कंपनियों से कोल रैक भिजवाने के लिए मांग लगातार की जा रही हैं।
बिजली की मांग धनतेरस से पहले करीब 1000 मेगावाट बढ़ गई है। दीवाली के पांच दिवसीय पर्व में मांग 2000 मेगावाट तक बढ सकती है। बिजली विभाग और सरकारी पावर कंपनियां चिन्तित हैं। वैसे, माना जाता है कि दिवाली पर इंडस्ट्रीयल लोड 2000 मेगावाट तक कम होगा, क्योंकि फैक्ट्री, कारखाने, उद्योगों में छुट्टियां रहेंगी। मगर बिजली उत्पादन घटने के कारण अतिरिक्त बिजली की जरूरत पड़ सकती है। इस साल जून में सबसे ज्यादा 16012 मेगावाट बिजली मांग आई थी।
दीपावली के त्योहारी मौके पर सीएम गहलोत ने राजस्थान की बिजली कंपनियों – जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, जोधपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड को बिजली कटौती नहीं करने के सख्त निर्देश दिए हैं। साथ ही सरकार ने राजस्थान ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड को दिवाली पर बिजली मांग की रियल टाइम मॉनिटरिंग कर बिना रुकावट बिजली सप्लाई देने को कहा है। ऐसे में ऊर्जा विकास निगम ने बिजली की खरीद की प्रक्रिया तेज कर दी है।
राजस्थान ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड के चीफ इंजीनियर मुकेश बंसल के अनुसार बिजली की रियल टाइम मॉनिटरिंग कर एक्सचेंज से बिजली खरीदी जा रही है। इन दिनों बिजली सस्ती ही मिल रही है। औसत 4 रुपए की दर पर बिजली खरीद हो रही है। लेकिन दिवाली पर मांग बढ़ी तो तुरंत बिजली खरीदी जाएगी, क्योंकि बिजली कटौती नहीं करनी है। इसलिए ऊर्जा विकास निगम पूरी तरह अलर्ट है।
