आखिर गुजरात में चुनावी रेवड़ियां क्यों ?

चुनावी रेवड़ियों के खिलाफ लगातार बोल रहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अपने ही राज्य गुजरात में लोकलुभावन फैसलों और घोषणाओं की झड़ी लगा दी गई है। वहां विधानसभा चुनाव की तिथियों का ऐलान रोक कर जनता को लुभाने के लिए राज्य और केन्द्र सरकारों में होड़ सी मची हुई है।

हाल ही लिए गए अहम फैसलों पर नजर डालें तो अमूल दूध के दाम पूरे देश में बढा दिए गए, लेकिन गुजरात में दूध मंहगा नहीं किया गया। फिर सेमी-कन्डक्टर चिप का कारखाना महाराष्ट्र से छीन कर गुजरात में इसकी आधारशिला रख दी गई। इसी प्रकार टाटा-बोइंग की हवाई जहाज निर्माण परियोजना का बडोदरा में शिलान्यास भी खुद प्रधानमंत्री मोदी से करवा दिया गया। यह परियोजना भी महाराष्ट्र के नागपुर में प्रस्तावित थी। दो दिन पूर्व ही गुजरात सरकार ने राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए एख समिति का गठन किया है। ये सभी फैसले महीनेभर के भीतर तुरत-फुरत ले लिए गए।   

इसी कड़ी में अब केंद्र सरकार ने बड़ा दांव खेला है। उसने पड़ोसी इस्लामिक देशों से भारत आए अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने का फैसला किया है। अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले लोग इस समय गुजरात के दो जिलों में रह रहे हैं। इनमें हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई शामिल हैं। केन्द्र सरकार ने उन सभी को नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत भारतीय नागरिकता देने का फैसला किया। विवादास्पद नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 (सीएए) के स्थान पर नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत नागरिकता देने का यह निर्णय बहुत महत्वपूर्ण है। मोदी सरकार 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से सताए गए गैर-मुस्लिम प्रवासियों-हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई को भारतीय नागरिकता देना चाहती है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी की गई एक अधिसूचना के अनुसार गुजरात के आणंद और मेहसाणा जिलों में रहने वाले शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दी जाएगी। इन दोनों जिलों में रहने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई को धारा 5, नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 6 के तहत और नागरिकता नियम, 2009 के प्रावधानों के अनुसार भारत के नागरिक के रूप में पंजीकरण की अनुमति दी जाएगी। उन सभी लोगों को भारत के नागरिक का प्रमाण पत्र दिया जाएगा। ये लोग लंबे समय से गुजरात में शरणार्थी के रूप में रह रहे थे।

नागरिकता संसोधन अधिनियम (सीएए) का मतलब इसके तहत भारत के तीन मुस्लिम पड़ोसी देश- पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए गैर मुस्लिम प्रवासी इनमें भी 6 समुदाय हिंदू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी को भारत की नागरिकता देने के नियम को आसान बनाया गया है। इससे पहले देश की नागरिकता हासिल करने के लिए किसी भी व्यक्ति को कम से कम 11 साल तक भारत में रहना अनिर्वाय था। सीएए को लेकर देशभर में काफी बवाल हुआ था। इसको लेकर देश की राजधानी दिल्ली सहित कई राज्यों में हिंसक झड़पे और कई महीनों तक आंदोलन चले थे।

गौरतलब ये है कि गुजरात में हिमाचल के साथ विधानसभा चुनाव की घोषणा होनी थी। हिमाचल में तो चुनावी तिथियों का ऐलान कर दिया गया है, लेकिन गुजरात की घोषणा लगातार टाली जा रही है। इससे साफ है कि केन्द्र की मोदी सरकार गुजरात को लेकर घबराई हुई है। उसके लिए इस राज्य की सत्ता को बनाए रखना प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुका है।

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