राजस्थान के सबसे बड़े अस्पताल सवाई मानसिंह (एसएमएस) में मरीजों को मनमानी दवाईयां लिखकर कमीशन उठाने वाले डॉक्टरों पर नकेल कसी गई है। ऐसे डॉक्टरों पर सख्ती के लिए एसएमएस अस्पताल प्रशासन ने निर्णय किया है कि अब डॉक्टर सरकार की ओर से बनाई जरूरी दवाओं की सूची (ईडीएल) में से ही मरीजों को दवाईयां लिखें। अगर सूची से बाहर की दवाईयां कोई डॉक्टर बार-बार मरीजों को लिखता है तो प्रशासन उस दवाई की खरीद-प्रक्रिया में उसी डॉक्टर को शामिल करेगा। ताकि ये रिपोर्ट तैयार हो सके कि ये दवाई यहां आने वाले मरीजों के लिए जरूरी है और इसे ईडीएल लिस्ट में शामिल किया जा सके।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने पिछले कार्यकाल में प्रदेश के हर वर्ग को फ्री दवाईयां, जांच की सुविधा देने के लिए साल 2012 में मुख्यमंत्री निशुल्क दवा एवं जांच योजना की शुरूआत की थी। जब इसकी शुरूआत हुई थी तब एडीएल की सूची सीनियर डॉक्टर्स की सिफारिश पर तैयार करवाई थी। उस समय इस लिस्ट में केवल 711 दवाईयां (साल्ट) ही शामिल थीं। साल 2018 में दोबारा गहलोत सरकार ने सत्ता में आने पर सभी को पूरी तरह फ्री इलाज देने का वादा किया और उसके तहत न केवल मुख्यमंत्री निशुल्क जांच योजना और दवाई योजना का दायरा बढ़ाया, बल्कि सरकारी हॉस्पिटल में तमाम ओपीडी-आईपीडी चार्ज को खत्म कर दिया। ताकि मरीज जब सरकारी अस्पताल में एंट्री करें तो उसे दवाईयां, जांच, ऑपरेशन से लेकर किसी तरह की पर्ची बनवाने का एक भी पैसा न देना पड़े।
इसी के तहत सरकार ने मरीजों की सुविधा के लिए फ्री दवाईयों जो 711 थी, वह बढ़ाकर 1600 के करीब कर दी। ईडीएल लिस्ट में शामिल की इन सभी दवाईयां को भी एसएमएस के ही सीनियर डॉक्टर्स की सिफारिश और परामर्श के बाद शामिल किया। लेकिन इसके बावजूद कई डॉक्टर अब भी किसी न किसी बहाने इस सूची से बाहर की दवाईयां मरीजों को लिख रहे है। ऐसी दवाईयों को एसएमएस प्रशासन द्वारा अपनी तरफ से स्थानीय खरीद करके उपलब्ध करवाना पड़ रहा है। इस प्रक्रिया में वित्तीय और प्रशासनिक दिक्कतें आ रही हैं।
कैंसर, त्वचा, आंख और सुपर स्पेशलिटी के विभागों से इस तरह की ज्यादा शिकायतें आ रही है। यहां के डॉक्टर्स कई दवाईयां ऐसी लिख रहे है, जो अस्पताल में मिल ही नहीं रही। इसके लिए मरीज को दवाईयां या तो बाहर से खरीद करनी पड़ रही है या अस्पताल प्रशासन खुद के स्तर पर खरीद करके लाइफ लाइन से उपलब्ध करवा रहा है। इस संबंध में एसएमएस हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ. अचल शर्मा ने बताया कि हमने सभी विभागों के एचओडी को निर्देश दिए हैं कि वे सरकार की तरफ से ईडीएल लिस्ट में से ही मरीजों को दवाईयां लिखे। अगर किसी डॉक्टर को इस लिस्ट से बाहर की कोई दूसरी दवाई लिखनी जरूरी है तो उन्हें एक-दो मामले में शिथिलता दी जाएगी। यदि लगातार दवाई लिखी जाती है तो डॉक्टर की ये जिम्मेदारी होगी कि वह इस मामले पर प्रशासन से चर्चा कर उस दवाई को जरूरी दवा सूची में शामिल करवाए।
