सहारनपुर में देवबंद के उलेमा मुफ्ती असद कासमी ने मुसलमानों के जन्मदिन मनाने को गलत बताया है। उनका कहना है कि कुरान, इस्लाम, शरीयत और हदीस में जन्मदिन मनाने का जिक्र नहीं है। जन्मदिन मनाना ईसाई धर्म के लोगों का तौर-तरीका है, जिन्हें आजकल मुसलमान भी अपना रहे हैं, जो गलत है।
मुफ्ती असद कासमी ने कहा, मुसलमान भाई ईसाइयों के तौर-तरीके न अपनाएं। जन्मदिन मनाना खुराफात है। मैंने इस्लाम, शरीयत, कुरान और हदीस के बारे में पढ़ा है। कहीं पर भी कुरान या हदीस-ए-नबी में जन्मदिन मनाने के बारे में नहीं लिखा है। न ही जन्मदिन मनाने का जिक्र है। ईसाई लोग जन्मदिन मनाते हैं, जिनकी मुसलमान नकल कर रहे हैं। मुसलमानों को इससे बचना और परहेज करना चाहिए।
मुफ्ती ने आगे कहा, अल्लाह के रसूल हजरत मोहम्मद साहब ने पूरी जिंदगी जन्मदिन नहीं मनाया और न ही कहीं पर इसका जिक्र है। हजराते सहाबा ने भी जन्मदिन नहीं मनाया, लेकिन मुसलमानों ने पता नहीं किस हदीस में पढ़ लिया कि जन्मदिन मनाया जाए। पता नहीं मुसलमान क्यों जन्मदिन मना रहे हैं। शरीयत के अंदर नई चीज पैदा कर दी है, कुछ मुसलमानों ने, जबकि शरीयत में जन्मदिन की कोई हैसियत नहीं है। मुसलमानों को अपनी शरीयत पर अटल रहना चाहिए।
हाल ही में ग्रेटर नोएडा के उलेमाओं ने फैसला लिया था कि जिस निकाह में आतिशबाजी या डीजे पर फिल्मी गाने बजेंगे, उन शादियों में कोई उलेमा या मौलवी निकाह नहीं पढ़ेगा। 3 दिन पहले इस मामले में देवबंदी उलेमा मुफ्ती असद कासमी ने भी बयान दिया। उन्होंने देश के मुसलमानों से अपील करते हुए कहा है कि मुसलमानों को ऐसी शादियों से बचना चाहिए, जिसमें इस्लाम और शरीयत के खिलाफ काम होता है।
