अब यह साफ हो गया है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट तथा उनके खेमों के बीच के मतभेद, मनभेद में बदल चुके हैं। इस खाई को पाटना अब आसान नहीं रहा। 50 साल के राजनीतिक करियर में गहलोत का एक नया रूप देखने को मिल रहा है। उन्होंने गुरूवार को दूसरी बार पायलट के लिए गद्दार, बागी जैसे अमर्यादित शब्द बोले हैं। इससे पहले 2019 में सचिन की बगावत के समय गहलोत ने उन्हें नकारा, निकम्मा कहा था।
इससे पायलट के लिए गहलोत के अंदर भरी नफरत भी दिखाई देती है। अब तक पायलट पर जो हमले गहलोत के समर्थक विधायक और मंत्री कर रहे थे, गहलोत ने उन पर मुहर लगाकर अपनी नफरत की पुष्टि की है। जहां तक कांग्रेस का सवाल है तो पार्टी दो महीने बाद वापस वहीं आकर खड़ी हो गई है। गहलोत ने धमकी भरे लहजे में साफ इशारा कर दिया कि पायलट को अब किसी भी रूप में नेतृत्व की स्थिति में नहीं होने दिया जाएगा। गहलोत और पायलट खेमों के बीच झगड़े की सबसे बड़ी जड़ ही यही है।
अब तक गहलोत 25 सितम्बर की बैठक के बहिष्कार पर नपा-तुला जवाब ही देते आए थे। अब उन्होंने हाईकमान की राय के खिलाफ जाकर बागी तेवर दिखाने वाले विधायकों-मंत्रियों का खुलकर बचाव करने के साथ ही इस घटना के बाद हुए फैसलों पर भी सवाल उठा दिए हैं। गहलोत के इस तेवर से लगता है कि यदि उनपर सीएम की कुर्सी से हटने का दबाव बढता है तो वह समर्थक विधायक इस्तीफे मंजूर करवा सकते हैं। तब विवाद और बढ़ा तो विधानसभा तक भंग कराई जा सकती है। 25 सितम्बर को समर्थक विधायकों द्वारा विधानसभा अध्यक्ष को सौंपे गए इस्तीफों का सियासी मकसद यही माना जा रहा है। बताते हैं कि हाईकमान इसी आशंका से राजस्थान को लेकर जल्दबाजी करने के मूड में नहीं है।
गहलोत का पायलट के खिलाफ खुलकर बोलना कांग्रेस आलाकमान को बैकफुट पर ले आया है। चर्चा यहां तक है कि गहलोत के बयान से कांग्रेस पार्टी सकते में है। इसीलिए पायलट के आलाकमान पर भरोसा जताने के बाद भी पार्टी की तरफ से गहलोत के कल के विस्फोटक बयान को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। वैसे राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा महत्वपूर्ण चरण में है। राहुल को मध्य प्रदेश के बाद गुजरात और फिर राजस्थान से गुजरना है। ऐसे में आलाकमान इस मुद्दे को फिलहाल नहीं छूना चाह रही है। मगर सूत्र बता रहे है कि खड़गे अशोक गहलोत के ताजे बयान से खफा हैं।
राहुल की भारत जोड़ो यात्रा में सचिन पायलट की भूमिका महत्वपूर्ण होती जा रही है। मध्य प्रदेश के बाद गुजरात व राजस्थान में राहुल और पायलट एक साथ कदमताल करेंगे। इससे गहलोत का पारा औऱ चढने तथा पायलट पर भड़ास निकालने से समझा जा सकता है कि अब दोनों नेताओं में किसी भी सूरत में मधुर संबंध तो बनने से रहे।
