समलैंगिकता पर केन्द्र को नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक जोड़ों की दो याचिकाओं पर केंद्र और अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि को शुक्रवार को नोटिस जारी किया। समलैंगिक जोड़ों की इस याचिका में उनकी शादी को विशेष विवाह कानून के तहत मान्यता देने का अनुरोध किया गया है। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने नोटिस जारी करने से पहले वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी की ओर से दाखिल किए प्रतिवेदन पर गौर किया।

पीठ ने कहा, नोटिस पर चार सप्ताह में जवाब दें। उसने केंद्र सरकार और भारत के अटॉर्नी जनरल को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया। अपीलों में दो समलैंगिक जोड़ों ने अपनी शादी को विशेष विवाह कानून के तहत मान्यता देने का निर्देश दिए जाने की मांग की है। हैदराबाद में रहने वाले समलैंगिक जोड़े सुप्रियो चक्रवर्ती और अभय डांग ने एक याचिका दायर की, जबकि दूसरी याचिका समलैंगिक जोड़े पार्थ फिरोज मेहरोत्रा और उदय राज की ओर से दायर की गई है।

याचिकाओं में एलजीबीटीक्यू (लेस्बियन, गे, बाइसेक्शुअल और ट्रांसजेंडर और क्वीर) समुदाय के लोगों को अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करने का अधिकार देने का अनुरोध करते हुए कहा गया है कि समलैंगिक विवाह को मान्यता नहीं देना संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत समानता के अधिकार व जीवन के अधिकार का उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 2018 में सर्वसम्मति से भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के तहत 158 साल पुराने औपनिवेशिक कानून के उस हिस्से को अपराध की श्रेणी से हटा दिया था, जिसके तहत सहमति से अप्राकृतिक यौन संबंध को एक अपराध माना जाता था।

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