सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद गेहूं, आटा, दाल के दामों पर लगाम लगती नहीं दिख रही है। खुदरा बाजार में पिछले दो साल में गेहूं का आटा 18 फीसदी से अधिक महंगा हुआ है। इसके दाम अब बढ़कर चावल (37.96 रुपये प्रति किग्रा) औऱ चीनी (42.69 रुपये प्रति किग्रा) की कीमतों को टक्कर दे रहे है।
उपभोक्ता मंत्रालय के पोर्टल पर 22 नवंबर को पूरे भारत में गेहूं के आटे का औसत खुदरा मूल्य 36.98 रुपये प्रति किलो था। यह दो साल पहले की तुलना में 18.71 प्रतिशत रुपये प्रति किलोग्राम था। इससे आटे की कीमतों में भी बढ़ी तेजी आई है। दो सालों में गेहूं का खुदरा मूल्य 9.47 फीसदी बढ़कर 29.02 रुपये प्रति किग्रा से 31.77 रुपये प्रति किग्रा हो गया है।
इस साल मई में 10.6 करोड़ टन से कम उत्पादन के बीच गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी गई थी, जब 6 महीनों (अप्रैल-सितंबर के बीच) में वास्तविक शिपमेंट पिछले साल की तुलना में दोगुना हो गया था। इसके बाद भी गेहूं के दाम बढ़ते रहे।
वैसे, साल 2022 के लिए रबी फसल की बुवाई के आंकड़े बताते हैं कि देश के किसानों ने मसूर और दालों की तुलना में गेहूं-चावल की बुवाई अधिक की है। अनियमित मॉनसून के बावजूद रबी की कुल बुवाई पिछले साल से 7 प्रतिशत अधिक है। इसमें भी गेहूं बुआई में करीब 15 फीसदी की बढ़ोतरी है। इससे सरकार को कुछ राहत मिल सकती है, क्योंकि कोविड काल के दौरान भारत के बफर स्टॉक में पिछले साल के मुकाबले 49.9 फीसदी की गिरावट आई है।
