मध्य प्रदेश के सनावद क्षेत्र में भारत जोड़ो यात्रा लेकर पहुंचे राहुल गांधी की सुरक्षा खतरे पड़ गई। राहुल अचानक कार से उतरे और भीड़ ने उन्हें घेर लिया। एक शख्स भीड़ को चीरते हुए उनके नजदीक तक भी पहुंच गया। सुरक्षा जवानों ने उसे पीछे धकेला। एक मिनट का यह वाकया वहां हुआ, जहां उनकी सभा सुरक्षा कारणों से रद्द कर दी गई थी।
राहुल गांधी 7 सितंबर से यात्रा में पैदल चल रहे हैं और अब तक 6 राज्यों में 2000 किलोमीटर चल चुके हैं। 80 दिन में पहली बार ऐसा हुआ, जब राहुल गांधी अचानक भीड़ में जा पहुंचे। पैदल चल रहे राहुल जब सनावद पहुंचने ही वाले थे, इसी बीच अचानक उनके आगे चल रही गाड़ियां दो हिस्सों में बंटना शुरू हो गईं। सनावद थाने के चौराहे पर सबसे पहले 5.45 बजे पुलिस का पायलट वाहन ओंकारेश्वर की तरफ मुड़ा। इसके पीछे चल रहे डीएसपी, सीएसपी की गाड़ियां भी इसी ओर मुड़ीं।
जबकि, भारत जोड़ो यात्री और उनकी गाड़ियों को ओंकारेश्वर के बजाय मोरटक्का कैम्प तरफ सीधे भेजा जाने लगा। इससे भ्रम की स्थिति बन गई। कांग्रेस की मीडिया सेल की गाड़ी भी ओंकारेश्वर की ओर चल दी तो भ्रम और बढ़ गया। सनावद के थाना चौराहा से कुछ मीटर पहले राहुल गांधी, प्रियंका, उनके पति रॉबर्ट वाड्रा और बेटे रेहान को एक गाड़ी में बैठाया गया। सीआरपीएफ की सुरक्षा में उनकी गाड़ी को भी ओंकारेश्वर की तरफ मोड़ दिया गया। इससे कार्यकर्ता और आम लोग बीच सड़क पर आ गए और अफरातफरी मच गई।
राहुल गांधी को देखने के लिए सनावद चौराहा पर उनकी गाड़ी के सामने लोग टूट से पड़े। गाड़ी से राहुल गांधी उतर गए और भीड़ में अकेले ही जा पहुंचे। राहुल गांधी ने बिना सुरक्षा घेरे के ही भीड़ से हाथ मिलाने शुरू किए और हाथ भी लहराया। अफरातफरी में आगे और पीछे चल रहे केंद्रीय सुरक्षाकर्मी गाड़ियों से उतरे और भीड़ के बीच भागे। पुलिस भी दौड़ी। यह देखकर प्रियंका गांधी भी नीचे उतर आईं और राहुल के पास जाने लगीं। वे 1 मिनट के भीतर ही राहुल को वापस ले आईं और फिर से गाड़ी में बैठा लिया।
इसके बाद तुरंत गाड़ियां रेलवे फाटक होते हुए ओंकारेश्वर के लिए रवाना करा दी गईं। बाकी सभी गाड़ियों को मोरटक्का पुल के पास कैम्प में भिजवाया गया। गांधी परिवार के साथ कमलनाथ भी नर्मदा पूजन के लिए ओंकारेश्वर चले गए।
