अमूमन किसी शहर में किराये पर मकान लेने के लिए सिर्फ पैसों और अपने पहचान पत्र जैसे आधार, वोटर आई कार्ड की ही जरूरत पड़ती है। लेकिन, बेंगलौर में किराये पर मकान के लिए सिर्फ पैसों और आईडी कार्ड से काम नहीं चलता। इस शहर के मकान मालिक कुछ खास योग्यता वाले किरायेदारों को ही रखना पसंद करते हैं। आजकल तो किरायेदार की सैलरी स्लिप और उनकी पृष्ठभूमि की जानकारियां भी मांगी जा रही हैं।
यह मामला तब सामने आया जब कई युवा प्रोफेशनल्सज और इंजीनियरों ने अपना अनुभव टि्वटर पर शेयर किया। इसमें बताया गया कि किराये पर कमरा देने के लिए मकान मालिक यहां कैसी-कैसी शर्त रख रहे हैं। सॉफ्टवेयर इंजीनियर प्रियांश जैन ने टि्वटर पर अपने अनुभव शेयर करते हुए ब्रोकर से हुई बातचीत का स्क्री नशॉट भी पोस्टर किया। इसमें ब्रोकर ने प्रियांश से उनकी बैकग्रांउड डिटेल मांगी और बताया कि मकान मालिक कुछ खास क्वािलीफिकेशन वालों को ही अपना घर देना चाहता है।
प्रियांश ने ब्रोकर को बताया कि वह एटलासियन में काम करते हैं और पूरी तरह शाकाहारी हैं। इसके बाद ब्रोकर ने पूछा कि वे किस कॉलेज से पढ़ाई करके आए हैं। जैन ने जवाब में कहा-वेल्लोर इंस्टीाट्यूट ऑफ टेक्नोंलॉजी। यह बताते ही ब्रोकर बोला- सॉरी आपकी प्रोफाइल फिट नहीं हो रही है। प्रियांश ने पूछा- आखिर मकान मालिक क्यार खोज रहे हैं तो ब्रोकर ने कहा कि वे सिर्फ आईआईटी, आईआईएम, सीए और आईएसबी ग्रेजुएट्स को ही किराये पर कमरा देने को राजी होंगे।
प्रियांश की तरह और भी कई यूजर ने टि्वटर पर बेंगलौर में किराये पर कमरा खोजने को लेकर अपने अनुभव शेयर किए हैं। पेशे से इंजीनियर अर्नव गुप्ता ने लिखा- मैं बेंगलौर में शिफ्ट हुआ हूं और मकान मालिक मुझसे लिंक्डिन प्रोफाइल मांग रहा है। बेंगलौर के लोगों का यह कैसा बर्ताव है। एक अन्य् यूजर ने लिखा कि उनसे मकान मालिक और ब्रोकर ने सैलरी स्लिप मांगी है।
अमित नाम के यूजर ने तो बताया कि उनसे और उनके दोस्तक से उम्र और गर्लफ्रेंड को लेकर सवाल किए गए। तमाम सवाल-जवाब के बावजूद उनसे कहा गया कि उन्हेंब किराये पर कमरा नहीं मिल सकेगा। एक और यूजर मोहित ठाकुर लिखते हैं कि उनके पोर्टफोलियो में गूगल और जेपी मॉर्गन जैसी कंपनियों का नाम होने के बावजूद उन्हें किराये पर कमरा नहीं दिया गया। मकान मालिकों की जानकारियों का यही हाल रहा तो जल्दी ही वे पिछले घर को छोड़ने का सर्टिफिकेट भी मांग सकते हैं।
