ईरान में महसा अमिनी की मौत के बाद हिजाब के खिलाफ करीब दो महीने तक चले देशव्यापी प्रदर्शनों के बाद सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए देश की नैतिकता पुलिस को भंग कर दिया है। तेहरान में नैतिकता पुलिस द्वारा 22 वर्षीय महसा अमिनी को गिरफ्तार किए जाने के बाद हिरासत में उसकी मौत हो गई थी। इसके बाद बीते 16 दिसंबर से पूरे ईरान में विरोध प्रदर्शन होने लग गए। ईरान के अटॉर्नी जनरल मोहम्मद जफर मोंटेजरी के हवाले से स्थानीय समाचार एजेंसी ईस्ना ने लिखा, नैतिकता पुलिस का न्यायपालिका से कोई लेना-देना नहीं है और इसे समाप्त करने का फैसला लिया गया है।
अटॉर्नी जनरल ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब एक धार्मिक सम्मेलन में मौजूद एक प्रतिभागी ने नैतिकता पुलिस को समाप्त करने के फैसले पर सवाल किया। ईरान सरकार ने फैसला लेते हुए कहा कि सरकार अब हिजाब कानून पर विचार करने को तैयार हो गई है। हालांकि इससे पहले हिजाब कानून को जबरन लागू कराए रखने के लिए ईरान सरकार ने पूरी कोशिश की थी।
22 वर्षीय महसा अमीनी की मौत के बाद से पूरे ईरान में प्रदर्शन शुरू हो गए थे। आरोप था कि महसा अमीनी ने हिजाब सही से नहीं पहना था और इस वजह से नैतिक पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया था। पुलिस हिरासत में ही उनकी मौत हो गई थी। महसा के घरवालों ने आरोप लगाया था कि पुलिस हिरासत में प्रताड़ना से महसा की मौत हुई थी।
हालांकि पुलिस और सरकार ने कहा कि दिल का दौरा पड़ने से अहसा अमीनी की मौत हुई थी। लेकिन उनकी मौत के बाद हो रहे प्रदर्शनों में हजारों लोग सड़कों पर निकले हैं और ईरान में धर्मगुरुओं के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। हिजाब के खिलाफ जारी इस प्रदर्शनों में अब तक 400 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। प्रदर्शन की शुरुआत में पुलिस को गोली तक मारने का आदेश दे दिया गया था।
