मुंबई पुलिस ने निर्भया फंड के तहत गाड़ियां खरीदीं। इनका इस्तेमाल महिलाओं के खिलाफ अपराधों से लड़ने के लिए किया जाना था, लेकिन ये गाड़ियां जुलाई से महाराष्ट्र की सत्ता में काबिज एकनाथ शिंदे सरकार के सांसदों और विधायकों के एस्कॉर्ट व्हीकल के तौर पर लगाई गईं हैं।
16 दिसंबर 2012 को मेडिकल की छात्रा के साथ दिल्ली में चलती बस में गैंगरेप हुआ था। वह अपने दोस्त के साथ थी। निर्भया ने दरिंदगी के बाद सिंगापुर के अस्पताल में 29 दिसंबर को उसने दम तोड़ दिया। इसके बाद, पूरे देश में भारी आक्रोश फैल गया था। 20 मार्च 2020 को निर्भया कांड के दोषियों को फांसी दी गई। यूपीए सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए साल 2013-14 के आम बजट में निर्भया फंड की घोषणा की थी।
एक न्यूज एजेंसी के अनुसार 2013 में केंद्र ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए निर्भया योजना को महाराष्ट्र में लागू करने के लिए निर्भया फंड बनाया था। जून 2022 में मुंबई पुलिस ने उसी निर्भया फंड के तहत 30 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करके 220 बोलेरो, 35 अर्टिगा, 313 पल्सर बाइक और 200 एक्टिवा खरीदी गईं। जुलाई में ये सभी गाड़ियां पुलिस थानों में भेज दी गई थीं। उसी महीने महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन हुआ। सीएम शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट के सत्तारूढ़ गठबंधन वाले सभी 40 विधायकों और 12 सांसदों को वाई-प्लस विद एस्कॉर्ट सुरक्षा दिए जाने का फरमान जारी हुआ।
जुलाई में ही वीआईपी सुरक्षा विभाग ने आदेश दिया, जिसके बाद मुंबई पुलिस के मोटर ट्रांसपोर्ट विभाग ने सभी पुलिस थानों से 47 बोलेरो गाड़ियां मंगा लीं। इन 47 बोलेरो में से 17 को तो वापस कर दिया गया, लेकिन 30 गाड़ियों को वापस किया जाना बाकी है।
मुंबई पुलिस के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि नई बोलेरो गाड़ियों को जून में पुलिस यूनिट्स में भेज दिया गया था। ताकि उन थानों में वाहनों की कमी को पूरा किया जा सके, जहां गश्त के लिए भी गाड़ियां उपलब्ध नहीं हैं। इन गाड़ियों को शहर के 95 पुलिस स्टेशनों में भेजा गया था।
अधिकार क्षेत्र और संवेदनशीलता के आधार पर कुछ पुलिस थानों को एक बोलेरो मिली तो वहीं कुछ को दो गाड़ियां दी गईं। हालांकि, बोलेरो पहुंचने के कुछ ही दिनों के भीतर गाड़ियां वापस करने को कह दिया गया, ताकि उन्हें वीआईपी सुरक्षा में इस्तेमाल किया जा सके।
