कांग्रेसी सड़कों पर धक्के खाएं, गिरें, घुटने छिलें

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा बुधवार सुबह राजस्थान से हरियाणा में दाखिल हो गई। इस दौरान फ्लैग एक्सचेंज समारोह में राहुल का गुस्सा देखकर साथी नेता हैरान रह गए। कार्यक्रम के दौरान मंच पर एक नेता सेल्फी लेने की कोशिश कर रहे थे। राहुल गांधी ने गुस्से में उनका हाथ झटक दिया। नेता अपना मोबाइल भी मुश्किल से छुड़ा पाए।

अलवर से सटे हरियाणा बॉर्डर पर हुए कार्यक्रम में राहुल ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से कहा- राजस्थान में मंत्री महीने में एक बार 15 किलोमीटर पैदल चलेंगे। यह मॉडल हर कांग्रेस शासित राज्य में लागू किया जाए।

राहुल बोले, मुझे खुशी हुई कि राजस्थान के मुख्यमंत्री और प्रदेशाध्यक्ष ने फैसला किया है कि राजस्थान के सब मंत्री, नेता महीने मे एक बार 15 किलोमीटर पैदल चलेंगे। मैं खड़गे जी से कहूंगा, मेरा सुझाव है कि जहां भी कांग्रेस की सरकार बने हमारी कैबिनेट, मंत्री, विधायकों और नेताओं को महीने में कम से कम एक दिन सड़कों पर चलना चाहिए। धक्के खाने चाहिए, गिरना चाहिए, घुटने छिलने चाहिए।

राहुल ने कहा- भारत जोड़ो यात्रा में बहुत सीखने को मिला है। यात्रा में हम लंबे भाषण नहीं देते। यात्रा छह बजे शुरू होती है, हम छह सात घंटे चलते चलते हैं और फिर 15 मिनट का भाषण देते हैं। आजकल के नेताओं की आदत हो गई है वे चाहे कांग्रेस, भाजपा, समाजवादी किसी पार्टी के हों, हर पार्टी के नेताओं की बात कर रहा हूं। नेता और जनता के बीच खाई बन गई है। नेता सोचते हैं कि जनता की बात सुनने की जरूरत नहीं है। घंटों लंबे भाषण देते हैं। इस यात्रा ने इसे बदलने की कोशिश की है। सात आठ घंटे हम चलते हैं और सारे के सारे नेता किसानों, मजदूरों, युवाओं की, छोटे दुकानदारों की बात सुनते हैं।

उन्होंने कहा- अभी भाषण में किसी ने कहा कि मैं देश का तपस्वी हूं। कन्याकुमारी से पैदल चलकर मैंने कोई बड़ा काम नहीं किया है। इस देश में मुझसे बड़े करोड़ों तपस्वी हर रोज चार बजे उठकर खेतों में काम करते हैं। सड़कों पर पूरी जिंदगी चलते हैं। राहुल ने मालाखेड़ा की सभा की बात को फिर दोहराते हुए कहा कि भाजपा के नेताओं ने पूछा यात्रा की क्या जरूरत है? क्या जरूरत है कन्याकुमारी से कश्मीर चलने की। आपके नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोल रहे हैं। जब भी ये लोग इस देश में नफरत फैलाने निकलते हैं, हमारी विचारधारा के लोग मोहब्बत फैलाना शुरू करते हैं। यह लड़ाई नई नहीं है, यह लड़ाई हजारों साल पुरानी है। इसमें दो विचारधाराएं चलती आ रही हैं। एक विचारधारा जो लोगों को फायदा पहुंचाती है। दूसरी विचारधारा जनता की आवाज है। किसान, मजदूर की आवाज है, उसकी विचारधारा है।

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Twitter picture

You are commenting using your Twitter account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.