कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा और उनकी मां मौरीन वाड्रा को जोधपुर हाईकोर्ट से झटका लगा है। जस्टिस डॉ पुष्पेंद्र सिंह भाटी की एकल पीठ ने रॉबर्ट व उनकी मां की पार्टनरशिप वाली स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी कंपनी की तथा एक अन्य याचिका खारिज कर दी है।
हालांकि, कोर्ट ने दोनों की गिरफ्तारी पर दो सप्ताह की रोक भी लगा दी है। यह मामला बीकानेर के कोलायत में कंपनी की जमीनों के खरीद-फरोख्त का है। इससे पहले बुधवार को हाईकोर्ट की पीठ में सुनवाई पूरी हुई थी।
बीकानेर के कोलायत में जमीन खरीद-फरोख्त को लेकर स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी एलएलपी कंपनी के साझेदारों के खिलाफ ईडी सबूत एकत्रित करने के लिए जांच कर रहा है। हाईकोर्ट में स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी के अलावा महेश नागर ने ईडी जांच को चुनौती दी थी। बचाव पक्ष की ओर से अपनी याचिका में जो सवाल खड़े किए, उन पर यूनियन ऑफ इंडिया की ओर से जवाब दिया गया।
इस फैसले के बाद दो सप्ताह तक अंतरिम आदेश जारी रहेगा। इस दौरान परिवादी अपील कर सकेंगे। तब तक गिरफ्तारी नहीं होगी। बुधवार को बचाव पक्ष की ओर से वरिष्ठ वकील केटीएस तुलसी ने वाड्रा की पैरवी करते हुए पक्ष रखा। यूनियन ऑफ इंडिया की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल राजदीपक रस्तोगी व उनके सहयोगी भानुप्रकाश बोहरा ने पक्ष रखा।
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल रस्तोगी ने बताया कि मामला वर्ष 2018 का है। तब बीकानेर पुलिस ने कोलायत में सरकारी जमीन खरीद फर्जीवाड़े के मामले में एक एफआईआर दर्ज की थी। मामला दर्ज होने के बाद में केस को सीबीआई ने ले लिया था, जिसकी जांच चल रही है।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी बीकानेर भूमि घोटाले में एक प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट दर्ज की थी। जांच बीकानेर के सीमावर्ती जिले के कोलायत क्षेत्र में कंपनी की ओर से 275 बीघा जमीन की खरीद से संबंधित है। केंद्रीय जांच एजेंसी ने 2016 में स्थानीय तहसीलदार द्वारा शिकायत दर्ज कराने के बाद पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था। उस दौरान स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड के लायबिलिटी पार्टनर रॉबर्ट वाड्रा, उनकी मां मौरीन वाड्रा और पार्टनर महेश नागर राजस्थान हाईकोर्ट पहुंचे। अदालत ने उन्हें राहत देते हुए थर्ड पार्टी अंतरिम आदेश जारी किया था।
इसके चलते रॉबर्ट वाड्रा, उनकी मां मौरीन और महेश नागर की गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक जारी है। इनकी गिरफ्तारी पर लगी अंतरिम रोक हटाने को लेकर ईडी ने पूर्व में एक प्रार्थना पत्र अदालत के समक्ष पेश किया था।
