मथुरा स्थित श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद में जिला कोर्ट के आदेशानुसार वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर की तरह ही सर्वे होगा। कोर्ट अमीन को सर्वे पूरा करने का आदेश दिया गया है। कोर्ट ने हिंदू सेना की याचिका पर सुनवाई करते हुए विवादित स्थल का सर्वे करने का आदेश दिया है। सभी पक्षों को नोटिस जारी किया गया है कि वो कोर्ट के आदेश का पालन करें।
ये सर्वे रिपोर्ट 20 जनवरी को कोर्ट में पेश की जाएगी। पूरे विवाद में हिंदू पक्ष लंबे समय से सर्वे की मांग कर रहा था। कोर्ट के आदेश के अनुसार शाही ईदगाह मस्जिद के विवादित परिसर का वैज्ञानिक सर्वे कराया जाएगा। इसकी निगरानी के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने की मांग के लिए याचिका दायर की गई थी। याचिका मथुरा के जिला अदालत में एक साल पहले दाखिल की गई थी।
हिंदू पक्ष का दावा है कि शाही ईदगाह में स्वास्तिक का चिह्न, मंदिर होने के प्रतीक के साथ मस्जिद के नीचे भगवान का गर्भ गृह है। पक्षकार मनीष यादव और वकील महेंद्र प्रताप सिंह का दावा है कि शाही ईदगाह में हिंदू स्थापत्य कला के सबूत मौजूद हैं। ये वैज्ञानिक सर्वे के बाद सामने आ जाएंगे।
अमीन को इससे पहले सम्बन्धित रिपोर्ट अदालत में दाखिल करने का निर्देश दिया गया है। वादी पक्ष के वकील शैलेश दुबे ने बताया कि 8 दिसंबर को दिल्ली में रहने वाले हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता और उपाध्यक्ष सुरजीत सिंह यादव ने सिविल जज सीनियर डिवीजन (तृतीय) की जज सोनिका वर्मा की अदालत में यह दावा किया था। इसमें कहा गया है कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान की 13.37 एकड़ जमीन पर औरंगजेब द्वारा मंदिर तोड़कर ईदगाह तैयार कराई गई थी। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण के जन्म से लेकर मंदिर बनने तक का पूरा इतिहास अदालत के समक्ष पेश किया। उन्होंने वर्ष 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ बनाम शाही ईदगाह के बीच हुए समझौते को भी अवैध बताते हुए निरस्त किए जाने की मांग की है। उन्होंने बताया कि अदालत ने वादी की याचिका सुनवाई के लिए स्वीकृत करते हुए अमीन द्वारा सर्वेक्षण कर रिपोर्ट देने के आदेश दिए हैं।
