बाड़मेर में पशु आहर की आड़ में नकली जीरा बनाने वाले फैक्ट्री के मास्टरमाइंड को आखिर गिरफ्तार कर लिया गया है। बाड़मेर जिले की सिणधरी पुलिस को मास्टरमाइंड को पकड़ने के लिए तीन दिन तक उझां (गुजरात) मंडी में मजदूरी करते हुए बोरियां भी उठानी पड़ी। आखिरकार वहा से 3 माह से फरार चल रहे आरोपी को रविवार को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस आरोपी से पूछताछ कर रही है।
सिणधरी पुलिस को मुखबिर से 25 सितंबर को सूचना मिली थी कि सिणधरी उपखंड के मनणावास गांव में पशु आहार की आड़ में नकली जीरा बनाया जा रहा है। पुलिस ने फैक्ट्री पर दबिश दी गई। फैक्ट्री में भारी मात्रा में नकली जीरा व नकली जीरा बनाने की सामग्री मिली। इस पर कृषि विभाग के अधिकारियों को बुलाया गया, लेकिन उन्होंने मामले को अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर बताया।
फिर फूड सेफ्टी इंस्पेक्टर रेवंतसिह का मौके पर बुलाकर फैक्ट्री को सीज कर 383 कट्टों में 19150 किलोग्राम नकली जीरा, 1480 किलोग्राम फूल घास (जीरा बनाने में उपयोग), 4800 किलोग्राम तरल गुड़, 1060 किलोग्राम पत्थर पाउडर (सोप स्टोन), 40 किलोग्राम कार्बन पाउडर जब्त किया गया। फैक्ट्री संचालक धमेंद्र कुमार (41) पुत्र बाबुलाल निवासी बाहरमांढ, गणेशपुरा उंझा, गुजरात को गिरफ्तार किया था। मगर मास्टरमाइंड भनक लगने पर फरार हो गया।
सिणधरी थानाधिकारी सुरेंद्र कुमार ने बताया कि मास्टरमाइंड पटेल भरत कुमार की तलाश शुरू की गई। पुलिस ने आरोपी को पकड़ने के लिए उसके ठिकानों पर तीन-चार बार दबिश दी, लेकिन वह भनक लगने पर फरार हो जाता था। 21 दिसंबर को थाना स्तर पर बनाई टीम के सदस्य कॉन्स्टेबल नरपतराम को आरोपी को पकड़ने के लिए उंझा भेजा गया। उसने तीन दिन तक उंझा जीरा मंडी में मजदूर बनकर बोरियां ढोने का काम किया। साथ ही आरोपी के ठिकाने का सुराग लगाकर सूचित किया।
पुलिस टीम उंझा जाकर आरोपी पटेल भरत कुमार (42) पुत्र गणेश भाई निवासी नगरपालिका के सामने नवाघर उंझा जिला मेहसाणा को पकड़ कर सिणधरी ले आई। पुलिस पूछताछ में आरोपी ने बताया कि फूल घास में तरल गुड़ मिलाकर हाथों से अच्छी तरह मिलाते, फिर उसमें पत्थर पाउडर (सोप स्टोन) मिलाकर सुखाया जाता है। बाद में छलनी से छानकर एक साइज का जीरा तैयार किया जाता। इसमें रंग के लिए कार्बन पाउडर मिलाकर पैक किया जाता है। आरोपी के गोदाम में असली जीरे में इसे मिला दिया जाता था। नकली जीरा पूरे भारत और विदेशों में निर्यात किया जाता था।
