बॉम्बे हाईकोर्ट ने रेल हादसे में मारे गए एक शख्स के परिवार के मुआवजे की मांग को खारिज कर दिया है। रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल का कहना था कि मृतक की लापरवाही की वजह से यह हादसा हुआ, इसलिए परिवार के मुआवजे की मांग सही नहीं है। हाईकोर्ट ने रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल के फैसले को सही ठहराया।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल (आरसीटी) के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें रेल हादसे में मारे गए एक शख्स के परिवार की ओर से मुआवजे की मांग की गई ती। आरसीटी ने फैसला दिया था कि मारे गए शख्स के पास कोई टिकट नहीं था। ऐसे में उसे प्रामाणिक यात्री नहीं माना जा सकता। इसके अलावा, एक रेलवे कर्मचारी ने हादसे के वक्त मृतक को शराब के नशे में हड़बड़ी में ट्रेन पर चढ़ने की कोशिश करते भी देखा था। रेलवे का कहना था कि मृतक की लापरवाही की वजह से यह हादसा हुआ, इसलिए परिवार के मुआवजे की मांग सही नहीं है। आरसीटी के इस फैसले के खिलाफ ही परिवार बॉम्बे हाई कोर्ट की शरण में पहुंचा था।
मारे गए शख्स का नाम दीपक ठाकरे है। नागपुर के रहने वाले दीपक ठाकरे की पत्नी और तीन नाबालिग बच्चों की ओर से कोर्ट में दख्वास्त लगाई गई थी। अमरावती के रहने वाले मृतक के आश्रित बुजुर्ग माता-पिता भी कोर्ट पहुंचे थे। परिवार का कहना था कि दीपक गाड़ी संख्या 59395 बेतुल-छिंदवाड़ा पैसेंजर ट्रेन में वैध टिकट के साथ चंदूर से जुन्नारदेव की यात्रा कर रहा था।
जस्टिस अभय आहूजा ने मृतक की पत्नी के हलफनामे को देखने के बाद कहा कि इसमें प्रासंगिक तथ्य नहीं है। जज ने कहा, हलफनामे में महिला के पति के साथ हुए हादसे के घटनाक्रम, उसके पोस्टमार्टम और पति की मौत के बाद उसे मिली जानकारियों का उल्लेख है। निश्चित तौर पर वह न तो घटना की चश्मदीद गवाह हैं और न ही उन्हें टिकट खरीदे जाने के किसी चश्मदीद की ओर से जानकारी मिली। महिला को बस इतना पता था कि उसके पति महादेव यात्रा पर गए हैं। इस वजह से अदालत इस नतीजे पर पहुंची कि दीपक की मौत भले ही रेल दुर्घटना में हुई हो, लेकिन उनके पास कोई वैध टिकट नहीं था।
