भ्रष्टाचारियों का चेहरा और नाम छिपाने संबंधित विवादित आदेश रद्द किए जाने पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा, इससे हमारी कोई किरकिरी नहीं हुई है। ऐसी कोई बात नहीं है। मैंने खुद कहा था कि इस आदेश को हम दिखवा लेते हैं। अगर कोई गलती है तो उसे वापस ले लेंगे। पिछली सरकार ने तो ऐसे मामले में कानून पास करके छापने पर पाबंदी लगाई थी। उसमें और इसमें रात-दिन का फर्क है।
गहलोत आज दिन में जयपुर के भामाशाह डेटा सेंटर पर 5जी की लॉन्चिंग के बाद मीडिया की ओर से पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा- मुझे बताया गया था कि तीन जजों का फैसला था। उसके कारण ये आदेश जारी हुआ है। मैंने फिर भी कहा था- मैं पता करवाता हूं। अगर इसमें अड़चन वाली बात है तो मैं खुद इसे वापस करवा लूंगा। ये आदेश अगले दिन वापस भी हो गया। एसीबी ने पिछले 4 साल में जो काम किया है, वह हिन्दुस्तान के किसी भी राज्य में नहीं हुआ है।
उल्लेखनीय है कि भ्रष्टाचारियों का चेहरा और नाम छिपाने वाले एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) के विवादित आदेश को शुक्रवार को वापस ले लिया गया है। उसी शाम एसीबी के डीजी हेमंत प्रियदर्शी ने नया आदेश जारी किया। प्रियदर्शी ने ही 2 दिन पहले भ्रष्ट अधिकारियों-कर्मचारियों के ट्रैप होने पर उनके नाम-फोटो जारी नहीं करने का आदेश जारी किया था।
