उदयपुर के कन्हैयालाल हत्याकांड के आरोपियों रियाज और गौस मोहम्मद को राजसमंद के भीम कस्बे से पकड़वाने वाले शक्ति सिंह और प्रहलाद अब सरकारी मदद के लिए भटक रहे है। उन्हें न लाइसेंसी बंदूक मिली है, न कोई सुरक्षा। 28 जून को हुए हत्याकांड में आरोपियों को पकड़वाने के बाद शक्ति सिंह और प्रहलाद का चेहरा सबके सामने आ गया था। दोनों का कहना है कि जान का खतरा मंडरा रहा है। कहीं नौकरी भी नहीं कर पा रहे हैं। सोमवार को दोनों उदयपुर पहुंचे। वहां कन्हैयालाल के परिवार से भी मिले।
शक्ति सिंह और प्रहलाद को अपनी बहादुरी के लिए खूब वाहवाही मिली थी। हर कार्यक्रम में उन्हें सम्मानित किया गया। सरकार ने भी दोनों को सुरक्षा के लिए गार्ड और लाइसेंसी बंदूक देने की बात कही थी। कन्हैया लाल हत्याकांड को 6 महीने से अधिक का समय गुजर गया है, लेकिन अब तक सरकार ने प्रह्लाद और शक्ति सिंह की तरफ मुड़ कर भी नहीं देखा है।
प्रहलाद और शक्ति सिंह ने बताया- जिस चौराहे पर दोनों बैठे थे। वहां और भी कई लोग थे, लेकिन कन्हैया के हत्यारों को पकड़ने के लिए हमने ही 25 किलोमीटर तक पीछा किया। आगे पुलिस ने घेरा डालकर उन्हें पकड़ा। आरोपियों को पकड़ने में मदद के बाद आज जो उनकी स्थिति है, उसे देखकर गांव वाले भी हंसते हैं। शक्ति सिंह ने बताया- इससे पहले सूरत में एक किराना की दुकान पर काम करते थे। घटना के 5-7 दिन पहले ही अपने पैतृक गांव भीम माता-पिता से मिलने आए थे। घटना के बाद दुकान मालिक ने उन्हें नौकरी से निकाल दिया। अब कहीं नौकरी भी नहीं मिल रही।
एक होटल में काम करने वाले प्रह्लाद ने बताया- घटना के बाद उनके चेहरे सार्वजनिक होने से उनकी जान पर खतरा मंडरा रहा है। उन्हें डर है कि जिन आरोपियों को उन्होंने पकड़वाया, उनके कोई लोग दोनों की रैकी न कर रहे हों। वे कहीं उन्हें मौत के घाट न उतार दें।
प्रहलाद व शक्ति सिंह को केवल कन्हैयालाल के बड़े बेटे यश साहू ने 25 – 25 हज़ार रुपए का चेक देकर मदद की है। यश ने सरकार से इन दोनों को सुरक्षा देने की मांग की है।
