राज्य की आबादी के हिसाब से हिन्दुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा देने की मांग के मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 24 राज्यों और 6 केंद्रशासित प्रदेशों का जवाब उसे मिला है। केंद्र सरकार ने बताया कि हिन्दुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा देने को लेकर राज्य सरकारें एकमत नहीं है।
केंद्र सरकार ने कहा अधिकतर राज्यों ने अल्पसंख्यक का दर्जा देने का अधिकार अपने पास ही रहने देने की बात कही है। उत्तराखंड का सुझाव है कि राज्यों में जनसंख्या के आधार पर धार्मिक अल्पसंख्यक घोषित किया जाना चाहिए। वहीं, उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार जो भी फैसला लेगी, उसको कोई आपत्ति नहीं होगी। बंगाल सरकार ने कहा कि किसी वर्ग को अल्पसंख्यक घोषित करने की शक्ति राज्य सरकार के पास होनी चाहिए।
दिल्ली सरकार ने सुझाव दिया कि हिन्दू धर्म के मानने वालों को दिल्ली में अल्पसंख्यक का दर्जा नहीं प्राप्त है, लेकिन हिन्दू धर्म के ऐसे लोग हैं, जो जम्मू-कश्मीर और लद्दाख जैसे राज्यों से पलायन कर दिल्ली में रह रहे हैं। उनको केंद्र सरकार ‘प्रवासी अल्पसंख्यक’ का दर्जा दे सकती है। केंद्र सरकार ने कोर्ट को यह भी बताया कि अरूणाचल प्रदेश, झारखंड, राजस्थान, तेलंगाना और केंद्र शासित प्रदेशों में जम्मू-कश्मीर तथा लक्ष्यद्वीप के सुझाव का इंतज़ार है। अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में ये हलफनामा दाखिल किया है।
