केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि संस्कृति मंत्रालय में ‘रामसेतु’ को राष्ट्रीय विरासत घोषित करने की प्रक्रिया जारी है। शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता सुब्रमण्यम स्वामी को निर्देश दिया है कि वह इससे जुड़े अतिरिक्त सबूत मंत्रालय को दे सकते हैं।
रामसेतु को राष्ट्रीय विरासत के रूप में मान्यता देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को अपना रूख बताने 4 हफ्तों का समय दिया था, जिसका जवाब देते हुए केंद्र सरकार ने बताया है कि संस्कृति मंत्रालय में ‘रामसेतु’ को राष्ट्रीय विरासत घोषित करने की प्रक्रिया जारी है। वहीं याचिकाकर्ता व भाजपा नेता ने शीर्ष अदालत से कहा कि यह मुद्दा भाजपा के घोषणापत्र का हिस्सा है, जिसका पार्टी ‘उल्लंघन’ कर रही है।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुब्रमण्यम स्वामी को मंत्रालय के साथ इससे जुड़े अतिरिक्त सबूत देने के निर्देश दिए। साथ ही पीठ ने केंद्र से इस मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए कहा और सुब्रमण्यम स्वामी से सरकार ने निर्णय से असंतुष्ट होने पर फिर से उसके समक्ष पेश होने की स्वतंत्रता दी है, जिसके बाद कोर्ट में सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा, मैं फिर आऊंगा, अभी सरकार को फैसला करने दीजिए। राम सेतु एक पुल है, जो तमिलनाडु के दक्षिण-पूर्वी तट पर पत्थरों द्वारा बनाया गया था। यह दक्षिण भारत में रामेश्वरम के पास पंबन द्वीप से श्रीलंका के उत्तरी तट पर मन्नार द्वीप तक बना हुआ है। रामायण महाकाव्य के अनुसार सीता को बचाने के लिए श्रीलंका पहुंचने के लिए भगवान राम व उनकी वानर सेना द्वारा इस पुल का निर्माण किया गया था।
