साल 2002 गोधरा ट्रेन जलाने के मामले में दोषियों अब्दुल रहमान, अब्दुल सत्तार और अन्य द्वारा दायर जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई को तैयार हो गया है और गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया गया है। सरकार की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वे कहते हैं कि यह पथराव का मामला है, लेकिन जब आप 59 यात्रियों वाली बोगी को अंदर बंद कर देते हैं और पथराव करते हैं, तो यह सिर्फ पथराव नहीं होता है। मामले की अंतिम सुनवाई होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट दो हफ्ते बाद सुनवाई करेगा। इस घटना के बाद गुजरात में दंगे हो गए थे और ये जमानत याचिकाएं 2018 से लंबित हैं।
हालांकि दिसंबर 2022 में गोधरा में ट्रेन जलाकर 59 लोगों की हत्या करने के मामले में गुजरात सरकार के कड़े विरोध के बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने उम्रकैद के एक दोषी को जमानत दे दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दोषी फारुक 2004 से जेल में है और उसकी भूमिका पत्थर बाज़ी की है। वो पिछले 17 साल से जेल में रह चुका है, लिहाजा उसे जमानत पर रिहा किया जाए। सुप्रीम कोर्ट से जमानत पर रिहाई का आदेश पाने वाले इस दोषी फारूक पर पत्थरबाजी और हत्या करने का मामला साबित हुआ था।
पिछली सुनवाई में भी गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दोषियों की रिहाई के विरोध किया था। सुप्रीम कोर्ट में तब भी गुजरात सरकार ने पत्थरबाजों की भूमिका को गंभीर बताया था,
क्योंकि उसी वजह से जलती ट्रेन से झुलसते हुए यात्री निकल नहीं पाए और जल कर मारे गए। पत्थरबाजों की मंशा यह थी कि साबरमती एक्सप्रेस की उस जलती बोगी से कोई भी यात्री बाहर न निकल सके और बाहर से भी कोई शख्स उन्हें बचाने के लिए अंदर न जा पाए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस जघन्य अपराध में शामिल इन सभी दोषियों में कई पत्थरबाज भी थे। वे जेल में लंबा समय काट चुके हैं। ऐसे में कुछ को जमानत पर छोड़ा जा सकता है। सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कोर्ट को आश्वस्त किया था कि वह हर दोषी की भूमिका की जांच करेंगे। सरकार ये भी देखेगी कि इस परिस्थिति में क्या कुछ लोगों को जमानत पर रिहा किया जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से 15 दिसंबर को अपनी रिपोर्ट पेश करने को कहा था। गुजरात सरकार ने कहा कि रिपोर्ट तैयार की जा रही है कोर्ट को वो चार्ट बनाकर देगी।
