कर्नाटक उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि आरोपी की मौत होने पर उसकी संपत्ति या उसके उत्तराधिकारियों से जुर्माना वसूला जा सकता है। हाईकोर्ट के इस फैसले से उन मामलों को न्याय मिलेगा, जिनमें आरोपियों की मौत कोर्ट का फैसला सुनाए जाने से पहले हो गई हो।
कोर्ट-कचहरी की लंबी कानूनी प्रक्रिया में कई बार आरोपी फैसला आने से पहले ही मर जाता है। ऐसी स्थिति में वो कानूनी शिकंजे से बच जाता है। ऐसी स्थिति से जुड़े एक केस में अब कर्नाटक हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने कहा कि आरोपी की मौत के बाद उसके उत्तराधिकारी से जुर्माना वसूला जा सकता है।
हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति शिवशंकर अमरनवर की अध्यक्षता वाली पीठ ने हासन के दिवंगत टोटिल गौड़ा की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। जिंदा रहते हुए उन्होंने यह अर्जी दाखिल की थी।
खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को उसकी मौत के मामले में भी अदालत के आदेश के अनुसार जुर्माना भरने की जवाबदेही से छूट नहीं मिलेगी। याचिकाकर्ता की मृत्यु के बाद परिवार के किसी भी सदस्य ने मामले को जारी रखने के लिए याचिका प्रस्तुत नहीं की है। दिवंगत टोटाइल गौड़ा के वकील ने कहा कि कानूनी उत्तराधिकारी याचिका को जारी नहीं रखना चाहते हैं। पीठ ने कहा कि संपत्ति के उत्तराधिकारी को जुर्माने का भुगतान करना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि हासन के अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने 12 दिसंबर, 2011 को याचिकाकर्ता स्वर्गीय टोटिल गौड़ा पर विद्युत अधिनियम के तहत 29,204 रुपये का जुर्माना लगाया था। टोटिल गौड़ा ने उच्च न्यायालय के समक्ष अपील दायर की और निचली अदालत के आदेश पर सवाल उठाया, लेकिन हाईकोर्ट में याचिका पर सुनवाई के दौरान टोटिल गौड़ा की मौत हो गई।
हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की मृत्यु की पृष्ठभूमि में अपील को खारिज कर दिया। कोर्ट ने दोषी की संपत्ति से या संपत्ति के उत्तराधिकारियों से जुर्माना की रकम वसूलने का आदेश दिया। कोर्ट का यह फैसला देश के अन्य मुकदमों के लिए नजीर बन सकता है। क्योंकि देश में ऐसे बहुत से केस है, जिसमें फैसला सुनाए जाने से पहले ही आरोपी की मौत हो चुकी है।
