संसद में आज आसन के एक फैसले से सियासी जमात में बहस छिड़ गई। लोकसभा में कल कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा के व्यवसाई गौतम अडाणी औऱ पीएम मोदी की खिंचाई करने वाले बयानों के विवादित अंश कार्यवादी से हटा दिए गए। आसन की ओऱ से यह फैसला भाजपा सांसदों की आपत्ति के बाद लिया गया।
कांग्रेस नेताओं ने फैसले पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए आरोप लगाया कि लोकसभा में अडाणी समूह से जुड़े मामले को लेकर राहुल गांधी की ओर से की गई टिप्पणियों के अंशों को कार्यवाही से हटाकर सदन में लोकतंत्र को खत्म किया गया। राजस्थान विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष रामनारायण मीणा ने ‘प्रेसवाणी’ से कहा कि सदन में आपत्तिजनक बयान को उसी दिन कार्यवाही से निकाला जाता है, न कि किसी और दिन। वैसे अध्यक्ष को अधिकार है कि किसी सदस्य के बयान पर विचार कर फैसला ले सकता है। किंतु मंगलवार के राहुल गांधी के बायन को कार्यवाही हटाना अधिनायकवाद की श्रेणी में आता है। भारत के संसदीय इतिहास में इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ है। राहुल ने ऐसा कुछ भी नहीं बोला, जो असंसदीय माना जाए।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अडाणी समूह से जुड़े मामले का हवाला देते हुए मंगलवार को लोकसभा में आरोप लगाया था कि 2014 में केंद्र की सत्ता में भारतीय जनता पार्टी के आने बाद ऐसा ‘जादू’ हुआ कि आठ वर्षों के भीतर उद्योगपति गौतम अडाणी दुनिया के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति बन गए। उन्होंने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए यह दावा भी किया कि मौजूदा सरकार के दौरान नियम बदलकर हवाई अड्डों के ठेके अडाणी समूह को दिए गए। राहुल गांधी द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लेकर की गई कुछ टिप्पणियों को आसन के निर्देश पर कार्यवाही से हटाया गया है।
वहीं, राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा में शामिल होते हुए टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने भी केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा था। मोइत्रा का भाषण खत्म होने के बाद अगले वक्ता ने बोलना शुरू किया। इसी दौरान बैठे-बैठे महुआ मोइत्रा ने ऐसी भाषा का इस्तेमाल किया, जिसका विरोध करते हुए भाजपा सांसदों ने हंगामा करना शुरू कर दिया। रमेश बिधूड़ी, विनोद सोनकर और निशिकांत दुबे सहित कई भाजपा सांसदों ने खड़े होकर सदन में महुआ मोइत्रा से माफी मांगने की मांग की। आसन की तरफ से यह कहा गया कि अभद्र एवं असंसदीय भाषा को सदन के रिकॉर्ड से बाहर कर दिया जाएगा और संबंधित दल (तृणमूल कांग्रेस) के नेता एवं केंद्रीय संसदीय मंत्री आपस में बात करके तय करें कि इसका समाधान कैसे करना है।
हालांकि, मोइत्रा ने बुधवार को लोकसभा में कहे गए अपशब्दों के इस्तेमाल का बचाव किया और कहा कि वह सेब को सेब कहेंगी, संतरा नहीं। महुआ मोइत्रा ने कहा, मैंने जो कुछ भी कहा वह रिकॉर्ड में नहीं था और मैं केवल इतना कह सकती हूं कि मैं एक सेब को एक सेब कहूंगी, नारंगी नहीं। मैं कुदाल को कुदाल कहूंगी। यदि वे मुझे विशेषाधिकार समिति के पास ले जाते हैं, तो मैं अपनी कहानी का पक्ष रखूंगी।
