संसद के दोनों सदन (लोकसभा व राज्यसभा) में आज भी अदाणी के मुद्दे पर संग्राम जारी रहा। राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि एक व्यक्ति जिसकी संपत्ति कुछ साल में 13 गुना बढ़ गई। 2014 में 50,000 करोड़ की थी, वह 2019 में एक लाख करोड़ की हो गई। अचानक ऐसा क्या जादू हुआ कि पांच साल में लाख करोड़ तक बढ़ गई। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट तो है ही जिसे वे (भाजपा) नहीं मानती है। हम चाहते हैं कि संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) बिठाई जाए और इस (अदाणी मामले) की जांच हो।
सरकार की ओर से इसका जवाब देते हुए पीयूष गोयल ने कहा कि वे विदेशी रिपोर्ट (हिंडनबर्ग रिपोर्ट) पर बातें कर रहे हैं, यह तो कांग्रेस का तारीका है। मैं स्पष्ट कहता हूं कि इनके खुद के नेता जिनके कहने के बगैर ये कुछ नहीं करते हैं उनकी संपत्ति ही देखें कि 2014 में इनके नेता की कितनी संपत्ति थी और आज कितनी है। संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) तब बैठती है जब आरोप सिद्ध हो जाएं। जब सरकार पर आरोप लगता है तब संयुक्त संसदीय समिति बिठाई जाती है किसी निजी व्यक्ति के मुद्दे पर नहीं।
लोकसभा में सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि अगर हिंडनबर्ग भारत होता तो, उस पर यूएपीए लगा दिया गया होता। बिलकिस बानों अगर मुसलमान नहीं होती तो उसे इंसाफ मिल होता। 20 सालों से बिलकिस बानों लड़ रही है, मगर नाम बिलकिस बानों है। आप इंसाफ नहीं करना चाहते, यह नारी शक्ति है। इसके बाद ओवैसी ने चीन के मुद्दे पर सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि चीन से आप डरते हैं। तीन साल से 50 हजार भारत की फौज हजारों फीट चोटिंयों पर बर्फ में खड़ी हुई है। देश के प्रधानमंत्री को क्या भारत के अवाम पर भरोसा नहीं है? भारत की फौज पर भरोसा नहीं है?
सदन के बाहर मीडिया से बात करते हुए राजद सांसद मनोज झा ने कहा कि एक उद्यमी (अदाणी) जो कहीं नहीं था, वह अचानक उछलकर यहां तक पहुंचता है। कोई भी क्षेत्र नहीं है जिसमें उसका दखल न हो। हाल में आई रिपोर्ट (हिंडनबर्ग) से यह स्पष्ट हो गया है इन्हीं के इर्द-गिर्द सत्ता तंत्र का ताना बाना था। अब इस ताने बाने की कहानी परत दर परत खुल रही है।
