राजस्थान की गहलोत सरकार ने माना कि कोचिंग छात्र-छात्राओं के आत्महत्या के प्रकरण बढ़ रहे हैं। अकेले कोटा संभाग में विगत 4 वर्षों में (2019 से 2022 तक) स्कूल कॉलेज और कोचिंग सेंटर के विद्यार्थियों के आत्महत्या के कुल 53 मामले दर्ज हुए हैं। इसकी एक वजह आत्मविश्वास की कमी भी है।
कोटा संभाग में कोचिंग छात्रों के आत्महत्या के मामलों को लेकर 24 जनवरी 2023 को विधायक पानाचंद मेघवाल की ओर से विधानसभा में प्रश्न पूछा गया था, जिसका जवाब सरकार ने दिया है। विधायक मेघवाल ने सरकार से पूछा था कि कोटा संभाग में विगत 4 वर्षों में स्कूल-कॉलेज एवं कोचिंग सेंटर के विद्यार्थियों द्वारा आत्महत्या किए जाने के कितने प्रकरण दर्ज हुए हैं। कोटा शहर में विद्यार्थियों द्वारा आत्महत्या के प्रमुख कारण क्या रहे? तथा सरकार ने विद्यार्थियों की काउंसलिंग और सुरक्षा के लिए क्या प्रयास किए गए हैं? सरकार की ओर से कहा गया है कि कोटा संभाग में विगत 4 वर्षों 2019 से 2022 में स्कूल कॉलेज और कोचिंग सेंटर के विद्यार्थियों की आत्महत्या के कुल 53 मामले दर्ज हुए हैं। सरकार ने आत्महत्या के जो प्रमुख कारण गिनाए, उनमें कोचिंग सेंटर में होने वाले टेस्ट में छात्रों के पिछड़े जाने के कारण उनमें आत्मविश्वास की कमी होना, माता-पिता की छात्रों से उच्च महत्वाकांक्षा होना, छात्रों में शारीरिक मानसिक एवं पढ़ाई संबंधित तनाव उत्पन्न होना और आर्थिक तंगी, ब्लैक मेलिंग, प्रेम प्रसंग आदि शामिल हैं। सरकार ने अपने जवाब में बताया कि कोचिंग संस्थाओं पर नियंत्रण के लिए राजस्थान कोचिंग इंस्टीट्यूट कंट्रोल एंड रेगुलेशन बिल 2023 लाया जाना प्रक्रियाधीन है।
