राजस्थान सरकार ने वीर तेजाजी कल्याण बोर्ड का गठन कर दिया है। सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग ने बोर्ड के गठन के आदेश जारी कर दिए हैं। बोर्ड में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सात सदस्य होंगे। यह बोर्ड किसानों की हालत का जायजा लेने और प्रमाणित सर्वे रिपोर्ट के आधार पर इस वर्ग के पिछड़ेपन को दूर करने के उपाय सुझाएगा।
प्रदेश में सालभर के अंदर अलग-अलग समाजों के कल्याण के लिए बोर्ड बने हैं। इसी कड़ी में अब वीर तेजा कल्याण बोर्ड बनाया है। जाट नेता पिछले लंबे समय से वीर तेजा कल्याण बोर्ड बनाने की मांग कर रहे थे। 5 मार्च को जयपुर में जाट महाकुंभ का विद्याधर नगर स्टेडियम में आयोजन किया जा रहा है। जाट महाकुंभ की मांगों में जातिगत जनगणना के साथ वीर तेजा कल्याण बोर्ड बनाने की मांग भी है।
प्रदेश में इसी साल अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं। वीर तेजा कल्याण बोर्ड बनाने के पीछे सियासी फायदे की रणनीति प्रमुख कारण माना जा रहा है। जाट और उसके समकक्ष कई किसान जातियां कांग्रेस का परंपरागत वोट रही हैं, लेकिन पिछले 20 साल में इस वोट बैंक में भाजपा ने सेंध लगा दी है।
सीएम अशोक गहलोत ने चुनावी साल में वीर तेजा कल्याण बोर्ड का गठन करके किसान जातियों को सियासी संदेश दिया है। वीर तेजाजी की लोकदेवता के रूप में कई राज्यों में मान्यता है। राजस्थान में मारवाड़ और शेखावाटी क्षेत्र में जाट वर्ग में वीर तेजा की मान्यता ज्यादा है। इस भावनात्मक जुड़ाव को सियासी रूप से भुनाने के हिसाब से बोर्ड बनाने को अहम माना जा रहा है।
वीर तेजा कल्याण बोर्ड बनाने के लिए कई जाट नेताओं ने सीएम अशोक गहलोत को चिट्ठी लिखकर मांग की थी। पिछले साल नवंबर में सचिन पायलट और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भी सीएम गहलोत को चिट्ठी लिखकर इसकी मांग की थी।
