अब कोर्ट में लड़ेंगे गहलोत-गजेन्द्र

केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ मानहानि का दावा किया है। शेखावत शनिवार दोपहर दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट पहुंचे और दावा पत्र पेश किया। केंद्रीय मंत्री ने संजीवनी घोटाले में उनके परिवार के बारे में की गई बयानबाजी को केस का आधार बनाया है।

शेखावत के खिलाफ गहलोत संजीवनी सहकारी मामले में लगातार आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने फोन टैपिंग मामले में भी शेखावत के खिलाफ आरोप लगाए हैं। अब शेखावत ने खुद कोर्ट जाकर गहलोत के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया है। गहलोत ने मुकदमे का स्वागत करते हुए एक बार फिर शेखावत पर हमला बोला है। उन्होंने कहा, इस आदमी को शर्म तक नहीं आती। पीएम ने इसे अभी तक मंत्री कैसे बना रखा है।

गजेंद्र सिंह ने संजीवनी घोटाले में उनके परिवार के बारे में की गई बयानबाजी को केस का आधार बनाया है। गहलोत ने 21 फरवरी को सचिवालय में बजट की समीक्षा बैठक के बाद कहा था कि संजीवनी घोटाले में गजेंद्र सिंह के मां-बांप, पत्नी सहित पूरा परिवार शामिल है। संजीवनी घोटाले में गजेंद्र सिंह पर गहलोत लंबे समय से आरोप लगा रहे हैं। गहलोत उनपर राज्य सरकार गिराने के षडयंत्र के मुख्य किरदार होने का आरोप भी लगाते रहे हैं। गजेंद्र सिंह संजीवनी घोटाले में खुद को बेकसूर बताते हुए सीएम गहलोत पर राजनीतिक दुश्मनी से बयान देने के आरोप लगाते रहे हैं।

मानहानि केस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए गहलोत ने कहा- मुझे अफसोस इस बात का है कि ऐसे घपलेबाज को पीएम मोदी ने मंत्री बना रखा है। ऐसे घपलेबाज को आप अपने मंत्रिमंडल में कैसे रख सकते हैं। यह तो सब कागजों में है कि घपला हुआ है। केंद्र सरकार ने लिक्विडेटर बैठा रखा है। इस आदमी को शर्म भी नहीं आती। संजीवनी घोटाले में पीड़ितों से बात तक नहीं करता।

गहलोत ने कहा- गजेंद्र सिंह के मानहानि केस का स्वागत है। कम से कम इस बहाने केस आगे बढ़ेगा। संजीवनी घोटाले में लाखों रुपए डुबा चुके गरीबों का भला होगा। वो पैसा कहां गया है। इथोपिया में गया है। गबन हुआ है। उनके खुद के लोग जेल में बैठे हुए हैं। गजेंद्र सिंह खुद मुल्जिम है, उनकी पत्नी, साले, उनके पिताजी का भी नाम है। उनकी माताजी का देहातं हो गया, उनका नाम है। यह हकीकत है। इन्हें शर्म आनी चाहिए कि मंत्री बनने के बाद जिम्मेदारी बढ़ जाती है, तो आगे बढ़कर बात करते। संजीवनी के लोग जेलों में बैठे हैं। ईडी ही संजीवनी की प्रोपर्टी जब्त कर सकती है। अगर हमें अधिकार होता तो कब की प्रोपर्टी जब्त करके पीड़ितों का चुका देते।

उल्लेखनीय है कि 21 फरवरी को गहलोत ने कहा था कि संजीवनी घोटाले में गजेंद्र सिंह के परिवार के लोग शामिल हैं। गजेंद्र सिंह के पिता, माता जी, पत्नी, इनके साले पांचों लोग उसमें शामिल हैं। इनकी माता जी का निधन हो गया है। इस मामले में लगभग 50 आरोपी हैं। 21 फरवरी के इस बयान के 11 दिन बाद अब केंद्रीय मंत्री शेखावत ने दिल्ली कोर्ट में मानहानि का केस दायर करने का फैसला किया है।

इससे पहले गजेंद्र सिंह ने सियासी संकट के वक्त फोन टैपिंग का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री के ओएसडी सहित पुलिस अफसरों के खिलाफ दिल्ली पुलिस में मार्च 2021 में केस दर्ज करवाया था। दिल्ली क्राइम ब्रांच में दो साल से जांच लंबित है। अब तक जांच में कोई खास प्रगति नहीं है। सीएम के ओएसडी लोकेश शर्मा की गिरफ्तारी पर दिल्ली हाईकोर्ट ने रोक लगा रखी है। दिल्ली में फोन टैपिंग केस के बाद अब सीएम के खिलाफ मानहानि का केस भी दिल्ली में दायर करने की सियासी हलकों में चर्चा शुरू हो गई है।

राजस्थान में शेखावत और गहलोत की दुश्मनी पुरानी है। 2019 के लोकसभा चुनावों में शेखावत ने अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को जोधपुर सीट से वोटों के बड़े अंतर से हराया था। अपने बेटे को जिताने के लिए अशोक गहलोत ने जमकर प्रचार किया था। यहां तक कि उस वक्त उनके विरोधियों ने कहा था कि गहलोत ने इन चुनावों में और कहीं ध्यान नहीं दिया। अपने बेटे की सीट पर ही प्रचार करते रहे और उन्होंने अपनी ज्यादातर रैलियां इसी सीट पर कीं। फिर भी शेखावत ने वैभव को लगभग 2.7 लाख वोटों के अंतर से हराया था।

राजस्थान कांग्रेस के दो धड़ों में बंट जाने की घटना में शेखावत का नाम आने से यह टकराहट और गहरी हो गई। शेखावत को वसुंधरा राजे का उत्तराधिकारी भी माना जाता है। राजे पर भाजपा की सहयोगी पार्टी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के नेता हनुमान बेनीवाल ने इस पूरे मामले में चुप रहने का आरोप लगाया था। बेनीवाल ने यह तक कहा था कि राजे गहलोत सरकार को बचाना चाहती हैं और उन्होंने कांग्रेस के बागी विधायकों से गहलोत सरकार को समर्थन देने को कहा था।

शेखावत 2014 में 16वीं लोकसभा के लिए लिए चुने गए थे। 2019 में वो दोबारा लोकसभा सांसद बने। पहले कार्यकाल में वित्त मंत्रालय और जल संसाधन की समितियों सहित कई समितियों के सदस्य रहे। 2019 में उन्हें केंद्रीय जल संसाधन मंत्री बनाया गया।

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