देश में कृषि उत्पादन बढ़ाने और किसानों को बेहतर सुविधा देने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने नैनो यूरिया और नैनो डीएपी को मंजूरी दी है। इससे किसानों को यूरिया की बोरी लादकर शहर से गांव और खेतों में जाने के दिन लद जाएंगे। क्योंकि अब छोटी-सी बोतल में 50 किलो के बोरे के बराबर यूरिया तरल रूप में उपलब्ध होगा।
केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने इसे उर्वरक क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने की दिशा में उठाया गया कदम बताया और कहा कि इससे किसानों को फायदा होगा।
अभी तक किसानों को डीएपी बोरी में मिलती रही है, जिसकी ढुलाई में किसानों को बहुत समस्या आती है। अब नैनो डीएपी आने से सिर्फ एक बोतल में उतनी ही क्षमता की मात्रा लाई जा सकेगी। इसकी कीमत में भी कमी आने की उम्मीद है। नैनो यूरिया ठोस यूरिया का ही तरल रूप में आता है। इसकी 500 मिलीलीटर की बोतल में 40,000 पीपीएम नाइट्रोजन होता है, जो सामान्य यूरिया के एक बैग के बराबर नाइट्रोजन पोषक तत्व प्रदान करता है। ठोस यूरिया की तुलना में नैनो यूरिया कम कीमत पर मिलता है और इसका परिवहन व भंडारण कम खर्च हो जाता है।
यह किसानों का पॉकेट फ्रेंडली और आय बढ़ाने में मददगार साबित होगा। इससे लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउसिंग की लागत में भी काफी कमी आएगी। पारंपरिक यूरिया की दक्षता लगभग 25 फीसदी है जबकि तरल नैनो यूरिया की दक्षता 85-90 फीसदी तक हो सकती है। नैनो यूरिया के उत्पादन के लिए इफको ने उत्तर प्रदेश और गुजरात में संयंत्र लगाए हैं। नैनो यूरिया पर सरकार की तरफ से किसानों को कोई सब्सिडी नहीं दी जाएगी। इसकी कीमत 240 रुपये प्रति बोतल है।
