बॉलीवुड के शो-मैन कहे जाने वाले राज कपूर बड़े पैमाने पर होली मनाते थे। वह अपनी होली पार्टी में किन्नरों को भी बुलाते थे। वहीं उन्हें अपनी आने वाली फिल्म के गाने सुनाया करते। अगर किन्नरों को कोई गाना पसंद नहीं आता तो उसे फिल्म में नहीं रखते थे।
राज कपूर अपनी हर होली पार्टी में किन्नरों को बुलाकर उनके साथ होली का जश्न मनाते थे। राज किन्नरों पर इतना भरोसा करते थे कि रंग- गुलाल लगाने के बाद वो उन्हें अपनी अपकमिंग फिल्म के गाने बिना झिझक सुना देते थे। जब उनकी तरफ से हरी झंडी मिलती थी, तभी फिल्म में वो गाना लिया जाता था। जब राज कपूर ने एक होली पार्टी में किन्नरों को अपनी आने वाली फिल्म ‘राम तेरी गंगा मैली’ के गाने सुनाए तो एक गाना किन्नरों को पसंद नहीं आया।
राज का उन पर ऐसा अटूट विश्वास था कि उन्होंने तुरंत संगीतकार रविंद्र जैन को बुलाकर इसे बदलने को कहा। इस गाने की जगह ‘सुन साहिबा सुन’ गाना तैयार किया गया। जब फिर किन्नरों को ये गाना सुनाया गया तो जवाब मिला, ये गाना दशकों तक याद रखा जाएगा। हुआ भी ऐसा ही। सुन साहिबा सुन.. आज भी लोगों की जुबान पर है। रविंद्र जैन को इस फिल्म के लिए बेस्ट म्यूजिक डायरेक्टर का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला था।
