इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल)-2013 में हुए मैच फिक्सिंग और सट्टेबाजी के एक मामले में चेन्नई सुपर किंग्स के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का नाम भी उछलाने के बाद साल 2014 में उन्होंने ज़ी मीडिया कॉरपोरेशन के खिलाफ मानहानि का मुकदमे दायर किया था। ज़ी मीडिया कॉरपोरेशन ने मुकदमे के संबंध में पूछताछ को रद्द करने के लिए मद्रास उच्च न्यायालय का रुख किया, लेकिन उसे राहत नहीं मिल पाई।
ज़ी द्वारा दायर की गई याचिका में एकल-न्यायाधीश के 11 नवंबर, 2022 के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें क्रिकेटर द्वारा उठाई गई पूछताछ को रद्द करने की उसकी अर्ज़ी को अस्वीकार कर दिया गया था। अब कोर्ट की जस्टिस आर महादेवन और मोहम्मद शफीक की पीठ ने बुधवार को एकल-न्यायाधीश के आदेश पर कोई अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया। लेकिन 13 मार्च सोमवार को ज़ी की अपील पर सुनवाई करने पर सहमति व्यक्त की। धोनी ने ज़ी मीडिया, आईपीएस अधिकारी संपत कुमार और अन्य के खिलाफ कथित दुर्भावनापूर्ण बयानों और समाचार रिपोर्टों के खिलाफ उच्च न्यायालय में मानहानि का मुकदमा दायर किया था, समाचारों और बयानों में दावा किया गया था कि धोनी 2013 में आईपीएल मैचों के सट्टेबाजी और मैच फिक्सिंग में शामिल थे।
धोनी ने अदालत से संपत कुमार और कई लोगों को उनके खिलाफ आईपीएल सट्टेबाजी घोटाले से संबंधित मुद्दे पर कुछ भी प्रकाशित करने से रोकने की अपील की थी। आईपीएल 2013 के स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी के केस को आईपीएस संपत कुमार लीड कर रहे थे। उन्होंने इस मामले में महेंद्र सिंह धोनी पर भी टिप्पणी की थी, जिसके बाद धोनी ने कहा था, संपत कुमार मेरे ऊपर स्पॉट फिक्सिंग का आरोप लगाकर मेरी छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। वह मेरे खिलाफ झूठी खबरें और गलत बयान दे रहे हैं। धोनी ने हर्जाने के तौर पर कोर्ट से इसके लिए 100 करोड़ रुपए की मांग की।
कोर्ट ने साल 2014 में संपत कुमार कुमार पर धोनी के खिलाफ किसी भी तरह के बयान देने पर रोक लगाई थी। इसके बावजूद संपत कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया था, जिसमें न्यायिक प्रणाली और उनके खिलाफ मामलों में राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रमुख वकील के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की गई थी।
