भागदौड़ भरी की इस जिंदगी में बांझपन की समस्या तेजी से बढ़ रही है। इसी को लेकर वाराणसी स्थित बीएचयू के विज्ञान संस्थान में डीएनए डिफेंस मैकेनिज्म पर आधारित सेमिनार 2023 का आयोजन किया गया। इसमें डीएनए वैज्ञानिक ने चौंकाने वाला खुलासा किया है।
सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) हैदराबाद के निदेशक डॉ. के थंगराज ने जेनेटिक्स ऑफ मेल इनफर्टिलिटी पर कहाकि बांझपन के लिए हर बार बहू को जिम्मेदार ठहराया जाता है, लेकिन ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा, पुरुषों में बांझपन के ज्यादातर मामलों में मां का माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए जिम्मेदार होता है। यह निष्कर्ष शोध में सामने आया है। इसकी पहचान भी हो चुकी है।
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक और सेमिनार के आयोजक प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि समाज में आमतौर पर बांझपन के लिए परिवार की बहु को जिम्मेदार ठहरा दिया जाता है। मगर लगातार शोध के बाद यह पता चल रहा है कि पुरुषों में भी बांझपन की समस्या बढ़ती जा रही है। उसकी वजह जानने के लिए प्रोफेसर थंगराज ने शोध किया है। इसमें पता चला कि पुरुषों में बांझपन की बड़ी समस्या माता की तरफ से ट्रांसफर होने वाले जींस है।
जेनेटिक्स ऑफ मेल इनफर्टिलिटी पर चर्चा करते हुए डॉ के थंगराज ने कहा कि पुरुषों में बांझपन के लिए उनकी मां का डीएनए ही जिम्मेदार होता है। यह सच बांझपन से जुड़े एक हजार नमूनों की जांच से सामने आया है। इन नमूनों की जांच में नौ जीन ऐसे पाए गए, जो पुरुषों में बांझपन के लिए जिम्मेदार होते हैं। ये जीन मां के माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए से बच्चों में आए हैं।
उन्होंने बताया ऑटोजोम्स के कारण जो बांझपन होता है, वह भी मां से बेटे को जाता है। नौ जीन में एक ऑटोजोम्स भी है। जीनोम सिक्वेंसिंग के दौरान पता चला कि 90 फीसदी मामलों में माता के डीएनए के कारण ही पुरुषों में बांझपन की समस्या आती है।
डॉ. के थंगराज ने कहा, बांझपन के लिए हर बार बहू को जिम्मेदार ठहराना ठीक नहीं है। अभी बच्चे पैदा न होने पर महिलाओं को बांझ कहा जाता है, लेकिन ज्यादातर मामलों में पुरुष ही जिम्मेदार होते हैं।
