राजस्थान में राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में रेजिडेंट और निजी अस्पतालों के 6 हजार डॉक्टर हड़ताल पर चले गए। रेजिडेंट्स के कार्य बहिष्कार से बुधवार को एसएमएस अस्पताल समेत प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों से जुड़े अस्पतालों में चिकित्सा सेवाएं गड़बड़ा गई। ऑपरेशन टाल दिए गए, जिससे मरीज स्ट्रेचर पर दर्द से कहराते रहे। ओपीडी में मरीजों की भीड़ लग गई।
आज सुबह जयपुर के एसएमएस अस्पताल के बाहर सभी डॉक्टर इकट्ठा हुए। यहां उन्होंने अपने रजिस्ट्रेशन, मार्कशीट और राइट टू हेल्थ बिल की कॉपी जलाकर विरोध किया।
एसएमएस मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के सीनियर प्रोफेसर डॉ. रमन शर्मा ने बताया कि सभी फेकल्टी मेंबर को ओपीडी में लगाया है। भीड़ बहुत ज्यादा है, मरीजों का टेस्ट कर दवा दी जा रही है। इमरजेंसी केस होने में वहीं पर पूरा इलाज कर वार्ड में शिफ्ट किया जा रहा है। इमरजेंसी में नर्सिंग स्टाफ और इंटर्न को लगा रखा है। रेजिडेंट्स डॉक्टर्स नहीं होने पर काम का दबाव काफी ज्यादा बढ गया है।
उदयपुर के एमबी अस्पताल में भी 400 रेजिडेंट्स डॉक्टर्स हड़ताल पर चले गए। इस कारण 80 से ज्यादा ऑपरेशन टालने पड़े। रेजिडेंट के हड़ताल पर जाने से आरएनटी मेडिकल कॉलेज में पढ़ाने वाले करीब 50 डॉक्टरों को आउटडोर और अन्य जगह ड्यूटी पर लगाया गया है।
उधर, अजमेर में दूसरे दिन भी डाक्टरों का विरोध जारी रहा। जेएलएन मेडिकल कॉलेज में प्राइवेट, सीनियर्स और रेजिडेंट डॉक्टरों की ओर से प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शन के बाद डॉक्टरों ने अपनी डिग्री की फोटो कॉपी जलाकर सरकार के खिलाफ विरोध जताया। वहीं जेएलएन अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर्स संपूर्ण कार्य बहिष्कार पर चल रहे हैं।
