श्रीगंगानगर जिले के रहने वाले बीएसएफ जवान 34 साल के राजेश भांभू का आज उनके गांव लालगढ़िया में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। वह पश्चिम बंगाल में 23 मार्च को वे शहीद हो गए थे।
शहीद की देह शुक्रवार रात को सड़क मार्ग से सूरतगढ़ के सिटी थाना पहुंची थी। शनिवार सुबह सूरतगढ़ से उनके गांव तक 40 किलोमीटर की तिरंगा यात्रा निकालकर उनके घर देह को लाया गया। इस दौरान शहीद के नाम से नारे लगाए गए। शहीद की पत्नी और पिता ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। इसके बाद वाहन को फूलों से सजाकर शव अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया।
वहां शिल्प एवं माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष और राज्य मंत्री डूंगरराम गेदर तथा केश कला बोर्ड अध्यक्ष महेंद्र गहलोत भी मौजूद रहे। इनके अलावा सामाजिक और व्यापारिक संगठनों के पदाधिकारियों समेत युवाओं ने शहीद को श्रद्धांजलि दी।
राजेश भांभू पश्चिम बंगाल में बीएसएफ की 75वीं बटालियन में तैनात थे। शहादत की खबर मिलने पर उनके घर कोहराम मच गया। 6 महीने पहले शहीद की मां की मौत का गम परिवार भूला नहीं था। अब बेटे की मौत से परिवार बेहाल हो गए। पिता रोते-रोते बोलने लगे कि दो महीने पहले आया था, तब जल्दी आने का वादा करके गया था। ऐसे आएगा पता नहीं था। पत्नी तो बेसुध हो गई। उसे यकीन नहीं हुआ कि सुहाग उजड़ गया।
शहीद के चाचा मोहन भांभू ने बताया कि हादसे वाले दिन भतीजे ने अपने परिवार से फोन पर बात की थी। परिवार ने बाद में फोन मिलाया तो उन्होंने रिसीव नहीं किया। बीएसएफ हेड क्वार्टर पर संपर्क किया तो निधन की जानकारी मिली। चाचा ने बताया कि 2 दिन से परिवार समेत पूरे गांव में सन्नाटा है। राजेश की मां पार्वती का भी करीब 6 महीने पहले निधन हो गया था। राजेश की 2014 में धापी देवी से शादी हुई थी। उनके कोई संतान नहीं है। उनके दोनों भाई भी सीआरपीएफ और आईटीबीपी में हैं।
