एक अप्रैल से लोगों को कई जरूरी दवाओं के लिए ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं। दवाइयों के महंगे होने पर स्वास्थय मंत्रालय ने सफाई दी है। मंत्रालय ने कहा है कि ड्रग प्राइसिंग कंट्रोल ऑर्डर-2013 में प्रावधान है कि जरूरी दवाओं के दाम वार्षिक थोक मूल्य सूचकाकं (डब्लूपीआई) के हिसाब से तय होते हैं।
स्वास्थ्य मंत्रायल ने बताया कि मंत्रालय जरूरी दवाओं की राष्ट्रीय सूची (एनईएलएम) जारी करता है। 870 दवाइयों को स्वास्थ्य मंत्रालय ने सितंबर 2022 में इस सूची में शामिल किया था। इसमें से 651 के दाम तय किए जा चुके हैं, जिसके तहत दवाइयों के दाम 16 प्रतिशत तक घटाए गए हैं। इसलिए डब्लूपीआई के अनुसार दवाओं के दाम 12 प्रतिशत तक महंगे होने की बजाय 6.73 प्रतिशत घटे हैं। यह कीमतें एक अप्रैल से लागू हो गई हैं।
पिछले महीने खबर थी कि एक अप्रैल से पेनकिलर्स से लेकर एंटीबायोटिक समेत कई जरूरी दवाओं की कीमत बढ़ जाएगी। जरूरी दवाओं की कीमतों में 12 फीसदी की बढ़ोतरी तय की गई थी। यह कीमतें 1 अप्रैल से लागू हो गईं। जिन दवाइयों की कीमतें बढ़ी हैं, उनमें पेन किलर, पैरासिटामोल, एंटी इंफेक्शन और दिल की बीमारियों की दवाइयों से लेकर एंटीबायोटिक्स दवाएं शामिल हैं।
