राजस्थान में राइट टू हेल्थ बिल पर लगातार 18 दिन से जारी गतिरोध आज खत्म हो गया। राज्य सरकार और निजी डॉक्टरों के बीच इस बिल पर सहमति बन गई है। इस संबंध में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट कर जानकारी दी। उन्होंने कहा, मुझे प्रसन्नता है कि राइट टू हेल्थ पर सरकार व डॉक्टरों के बीच अंततः सहमति बनी एवं राजस्थान यह बिल लागू करने वाला देश का पहला राज्य बना है।
डॉक्टरों के साथ समझौते के बाद चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा और आरटीडीसी चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ ने भी खुशी व्यक्त की है।
चिकित्सा मंत्री मीणा ने कोटा में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि समझौते के तहत छोटे अस्पताल, जिनकी क्षमता 50 बेड या कम है, वो राइट टू हेल्थ से बाहर है। सिर्फ बड़े अस्पतालों पर राइट टू हेल्थ बिल लागू होगा। इधर प्रमुख चिकित्सा सचिव टी.रविकांत ने कहा कि कल डॉक्टर बातचीत की टेबल पर आएं। आज सुबह समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। समझौते के तहत 50 बेड से कम अस्पतालों में आरटीएच लागू नहीं होगा। जिन्होंने सरकार से जमीन नहीं ली है, उन अस्पतालों पर भी आरटीएच लागू नहीं होगा। उन्होंने कहा कि सरकार से जमीन लेने वाले अस्पताल और बड़े अस्पतालों पर ही यह बिल लागू होगा।
राजस्थान में निजी चिकित्सक पिछले 28 मार्च को राज्य विधानसभा में पारित विधेयक को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। विधेयक के अनुसार राज्य के प्रत्येक निवासी को किसी भी ‘सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान, स्वास्थ्य देखभाल प्रतिष्ठान और नामित स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों में ‘बिना पूर्व भुगतान’ के आपातकालीन उपचार और देखभाल का अधिकार होगा।
सरकार ने लाइसेंस और मंजूरी के लिए सिंगल विंडो की डॉक्टरों की मांग पर सहमति जताई। फायर एनओसी को पांच साल में एक बार रिन्यू करने पर विचार किया जाएगा।
