कर्नाटक में विधानसभा चुनाव से पहले दही के बाद अब दूध वितरक कंपनी अमूल का उसके एक ट्वीट को लेकर विरोध शुरू हो गया है। 5 अप्रैल को अमूल ने एक ट्वीट किया, जिसमें लिखा गया कि बेंगलुरु के लिए दूध दही के साथ ताजगी की नई लहर आ रही है..अधिक जानकारी जल्द ही दी जाएगी। कंपनी के इस ट्वीट के बाद विपक्षी दलों ने इसे गुजारात की कंपनी का राज्य में हस्तक्षेप और कर्नाटक मिल्क फेडरेशन के ब्रांड नंदिनी को खत्म करने की साजिश बताया।
विवाद बढ़ने के साथ ही सोशल मीडिया पर #GoBackAmul #savenandini जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। विपक्षी दलों की तरफ से सवाल उठाए गए कि जब राज्य के पास अपना मिल्क ब्रांड है ही तो गुजरात के ब्रांड की क्या जरूरत है? कर्नाटक में एक होटल निकाय ने भी राज्य के (डेयरी) किसानों का समर्थन करने के लिए केवल नंदिनी दूध का उपयोग करने का निर्णय लिया। कांग्रेस नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा, सभी कन्नडिगों को अमूल उत्पादों को नहीं खरीदने का संकल्प लेना चाहिए।
कांग्रेस ने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री पर अपने राज्य के ब्रांड को “पिछले दरवाजे से” राज्य में लाने की कोशिश करने का आरोप लगाया। वहीं कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि अमूल पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए और अमूल के साथ मिलकर नंदिनी देश में नंबर एक ब्रांड बन जाएगा। कर्नाटक कांग्रेस प्रमुख डीके शिवकुमार ने कहा कि किसी बाहरी ब्रांड की जरूरत नहीं है, क्योंकि नंदिनी अमूल से ‘बेहतर’ ब्रांड है।
जनता दल (सेक्युलर) ने भी कथित तौर पर नंदिनी ब्रांड पर कब्जा करने की कोशिश करने के लिए अमूल की खिंचाई की। पार्टी की तरफ से ट्वीट किया गया कि ऐसी स्थिति में जहां केएमएफ नंदिनी का दूध, घी और मक्खन राज्य के सभी हिस्सों में उपलब्ध नहीं है, ऑनलाइन मार्केटिंग के लिए गुजरात की अमूल कंपनी का यह विकास क्या संकेत देता है?
