देशभर में इसाई संस्थानों और पादरियों पर बढ़ते हमले को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में अज सुनवाई हुई। इस दौरान केंद्र सरकार ने दावा किया कि याचिकाकर्ता द्वारा प्रदान किए गए ईसाइयों पर हमलों के आंकड़े गलत हैं। देश के बाहर गलत संदेश दिया जा रहा है कि ईसाई खतरे में हैं। सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ के समक्ष इस मामले पर बहस हुई। भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र सरकार की ओर से दलील दी। उन्होंने कहा, शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के आधार पर इस मामले पर ध्यान दिया था। किंतु यह आंकड़े गलत हैं।
याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि कुल 500 घटनाएं हैं ,जिनमें ईसाइयों पर हमला किया गया था। हमने सब कुछ राज्य सरकारों को भेज दिया है। हमें जो भी जानकारी मिली, हमने उसे समेट लिया। इसपर तुषार मेहता ने कहा कि बिहार में याचिकाकर्ता ने जो कुल संख्या दी है, वह पड़ोसियों के बीच आंतरिक झगड़े हैं। याचिका से जनता में गलत संदेश गया है।
याचिकाकर्ता के वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने कहा कि सरकार की तरफ से हलफनामा कल देर रात पेश किया गया है। इस पर जवाब देने के लिए समय दिया जाए। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को जवाब देने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है। इससे पहले सितंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा दखल दिया था। कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को 8 राज्यों से घटनाओं पर उठाए गए कदमों पर वैरीफिकेशन रिपोर्ट मांगने के निर्देश दिए थे। गृह मंत्रालय को दो महीने का समय दिया गया था। बिहार, हरियाणा, छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश से रिपोर्ट मांगने के आदेश दिए गए थे।
