जब किसी पर अंधविश्वास हावी हो जाए तो वह कुछ भी कर सकता है। ओडिशा के बालासोर जिले के एक आदिवासी गांव में गुरुवार को इस अंधविश्वास के आधार पर एक नहीं, बल्कि दो ऐसी शादियां हुईं जिसमें इंसान की शादी कुत्ते से करा दी गई। इस अंधविश्वास के पीछे यह कारण बताया जा रहा है कि इससे बुरी आत्माओं (शक्तियों) से निजात मिलेगी।
सूत्रों के अनुसार, मचुआ सिंह ने अपने 11 साल के बेटे तपन सिंह के लिए दुल्हन के रूप में एक ‘कुतिया’ का इंतजाम किया तथा मानस सिंह ने अपनी सात वर्षीय बेटी लक्ष्मी के लिए दूल्हे के रूप में एक ‘कुत्ते’ का प्रबंध किया। मचुआ और मानस सोरो प्रखंड के बंधशाही गांव के हो जनजाति के सदस्य हैं। अपने बच्चों की शादी के लिए उन्होंने कुत्ते की खोज तब शुरू की, जब उनके बच्चों का ऊपरी जबड़े में पहला दांत निकला, क्योंकि इन आदिवासियों का मानना है कि उनके बच्चों की जिंदगी पर ‘बुरा प्रभाव’ पड़ सकता है।
समुदाय की परंपरा के अनुसार इन दोनों शादियां के बाद सामूहिक भोज कराया गया। समुदाय की मान्यता है कि बुरी आत्मा का साया शादी के बाद कुत्तों में चला जाता है। यह अंधविश्वास पीढ़ी-दर-पीढ़ी इस समुदाय में चला आ रहा है।
