सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल कर चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति को चुनौती दी गई है। याचिका में भारत के चुनाव आयुक्त के रूप में गोयल की नियुक्ति को रद्द करने की मांग की गई है। इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगा।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा दायर की गई याचिका में गोयल की नियुक्ति को गैर कानूनी, मनमानी और त्रुटिपूर्ण बताते हुए रद्द करने की गुहार लगाई गई। याचिका में कहा गया है कि अरुण गोयल की नियुक्ति कानून के मुताबिक सही नहीं है। साथ ही निर्वाचन आयोग की सांस्थानिक स्वायत्तता का भी उल्लंघन है।
याचिका से पहले एडीआर ने निर्वाचन आयुक्तों की मौजूदा नियुक्ति प्रक्रिया की संवैधानिक वैधता को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। याचिका के अनुसार भारत सरकार ने गोयल की नियुक्ति की पुष्टि करते हुए कहा था कि चूंकि वह तैयार किए गए पैनल में चार व्यक्तियों में सबसे कम उम्र के थे, इसलिए चुनाव आयोग में उनका कार्यकाल सबसे लंबा होगा।
याचिका में तर्क दिया गया है कि उम्र के आधार पर गोयल की नियुक्ति को सही ठहराने के लिए जानबूझकर एक दोषपूर्ण पैनल बनाया गया था। पैनल में 160 अधिकारी ऐसे थे, जो 1985 बैच के थे और उनमें से कुछ गोयल से छोटे थे। इस बारे में कोई स्पष्टीकरण दिए बिना सरकार ने गोयल को नियुक्त किया। याचिका में कहा गया है कि केंद्र और चुनाव आयोग ने “अपने स्वयं के लाभों के लिए सावधानीपूर्वक आयोजित ‘चयन प्रक्रिया’ में चूक की है।
