सुप्रीम कोर्ट अब बिलकिस बानो मामले में दोषियों की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 2 मई को अंतिम सुनवाई करेगा। आज इस केस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तख्त टिप्पणियां करते हुए गुजरात सरकार को चेताया और सवाल किया कि, दोषियों को क्यों छोड़ा? इसके लिए जवाबी हलफनामा सुप्रीम कोर्ट में 1 मई तक फाइल किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा, सरकार रिहाई की वजह नहीं बताएगी, तो हम निष्कर्ष निकालेंगे। गुजरात सरकार ने 28 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में वादा किया था कि दोषियों की रिहाई से जुड़ी तमाम फाइलें पेश करेंगे। मगर गुजरात सरकार के फाइलें नहीं दिखाने पर कोर्ट ने तल्ख टिप्पणियां कीं।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान गुजरात सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि आखिर आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कभी भी सत्ता का अवैध प्रयोग न हो। आज बिलकिस है कल कोई और होगा। यह एक ऐसा मामला है, जहां एक गर्भवती महिला के साथ गैंगरेप किया गया और उसके सात रिश्तेदारों की हत्या कर दी गई। हमने आपको (गुजरात सरकार) सभी रिकॉर्ड पेश करने के लिए कहा था। हम जानना चाहते हैं कि क्या आपने अपना विवेक लगाया है। अगर हां, तो बताएं कि आपने किस बात को रिहाई का आधार बनाया है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक और अहम टिप्पणी की कि सेब की तुलना संतरे से नहीं की जा सकती, वैसे ही नरसंहार की तुलना एक हत्या से नहीं की जा सकती।
आज की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच के समक्ष हुई। कोर्ट ने कहा कि बार बार कहने के बावजूद गुजरात सरकार उम्रकैद के दोषियों की समय पूर्व रिहाई के दस्तावेज रिकॉर्ड हमारे सामने नहीं ला रही है। यदि आप फ़ाइल प्रस्तुत नहीं करते हैं, तो आप कोर्ट की अवमानना कर रहे हैं। ऐसे में हम स्वत: ही संज्ञान लेकर अवमानना का मामला शुरू कर सकते हैं।
