झुंझुनूं जिले के छोटे से गांव किठाना में जन्में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का खेती-बाड़ी से आज भी लगाव है। उनके खेत में करीब 70 बीघा जमीन पर जोजोबा के 8500 पेड़ खड़े हैं।
धनखड़ न केवल अपने खेत के बारे में, बल्कि गांव के अन्य लोगों के खेत के बारे में भी जानकारी लेते रहते हैं। उनकी पत्नी डॉ. सुदेश धनखड़ तो गांव आकर खेत को संभालती रहती हैं। वह खुद खड़ी रहकर खेत के लिए जैविक खाद भी तैयार करवाती हैं। खास बात यह है कि उप राष्ट्रपति के खेत की पैदावार से होने वाली आय को गांव में ही विकास कार्यों में खर्च किया जा रहा है।
उपराष्ट्रपति के खेत में उगने वाले जोजोबा के बीज ग्वालियर में व्यापारी को बेचे जाते हैं। वर्तमान में बीज का भाव 25-26 हजार रुपए प्रति क्विंटल है। वर्ष 2021 में उनके खेत में 19 क्विंटल जोजोबा के बीज हुए थे। पिछले साल 8 क्विंटल जोजोबा के बीज तैयार हुए।
उपराष्ट्रपति के खेत पर काम करने वाले महिपाल धनक़ड़ ने बताया कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ उनसे समय-समय पर फोन खेत के बारे में जानकारी लेकर फोटो भी मंगवाते हैं। उपराष्ट्रपति के खेत में तेरह साल पहले जोजोबा उगाया गया था। महिपाल ने बताया कि जोजोबा के पेड़ पर करीब नौ साल बाद बीज आने शुरू हुए। जोजोबा से होने वाली आमदनी को गांव में या अन्य सामाजिक कार्य पर खर्च किया जाता है। महिपाल के अनुसार गांव में स्कूली बच्चों को ड्रेस, किताब आदि का वितरण, स्कूल के भवन निर्माण में सहयोग आदि कार्य किए जा रहे हैं।
बताएं कि जोजोबा एक तेलीय फसल है। इसमें हाईलुब्रिकेटिंग ऑयल होता है। यह कॉस्मेटिक आइटम, हाई स्पीड इंजन जैसे प्लेन आदि में काम आता है। इस फसल में किसी तरह का कोई रोग नहीं लगता। इसे आवारा पशु भी नहीं खाते। पानी की बहुत कम आवश्यकता है। इसकी उम्र का कोई अंदाजा नहीं है। किसी के सौ साल तो किसी के डेढ़ सौ साल तक जोजोबा की खेती होती रहती है।
